प्रेम आँखों से झलकना चाहिए
देह चन्दन सा महकना चाहिए
बाग वन आकाश नदिया सब तेरा
मन विहग चंचल चहकना चाहिए
गंध तेरे देह की यह कह रही
मुक्त हो यौवन दहकना चाहिए
पंछियों की कलरवें उल्लास हो
नेह सागर सा छलकना चाहिए
दृष्टि का अनुबंध वो जादू करे
बिन पिए ही मय बहकना चाहिए
देह चन्दन सा महकना चाहिए
बाग वन आकाश नदिया सब तेरा
मन विहग चंचल चहकना चाहिए
गंध तेरे देह की यह कह रही
मुक्त हो यौवन दहकना चाहिए
पंछियों की कलरवें उल्लास हो
नेह सागर सा छलकना चाहिए
दृष्टि का अनुबंध वो जादू करे
बिन पिए ही मय बहकना चाहिए
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