रस्म निभाई के लिए एक दिन कुछ कर लेना क्या उस दिन का मज़ाक उड़ाना नहीं ... या कहीं ऐसा तो नहीं कम से कम एक दिन और हर साल उसी दिन को मनाना, अनसुलझे विषय को निरंतर जिन्दा रखने की जद्दोजहद हो ... जो भी हो काश ऐसी क्रांति आए की दिन मनाने की परंपरा ख़त्म हो सके समस्या के समाधान के साथ ...
वो अपने समय का
मशहूर मजदूर नेता था
आग उगलते नारों के चलते
कई बार अखबार की सुर्खियाँ बना
धुंआ उगलती चिमनियों के
नुक्कड़ वाले खोखे पे
रात उसकी लाश मिली
उसकी जागीर में थी
टूटी कलम
क्रांतिकारियों के कुछ पुराने चित्र
मजदूर शोषण पे लिखी
ढेर सारी रद्दी
पीले पड़ चुके पन्नों की कुछ किताबें
जो जोड़ी हवाई चप्पल
मैला कुचेला कुरता
और खून से लिखे विचार
आज एक बार फिर
वो शहर की अखबार में छपा
पर इस बार लावारिस लाश की
शिनाख्त वाले कॉलम में
वो अपने समय का
मशहूर मजदूर नेता था
आग उगलते नारों के चलते
कई बार अखबार की सुर्खियाँ बना
धुंआ उगलती चिमनियों के
नुक्कड़ वाले खोखे पे
रात उसकी लाश मिली
उसकी जागीर में थी
टूटी कलम
क्रांतिकारियों के कुछ पुराने चित्र
मजदूर शोषण पे लिखी
ढेर सारी रद्दी
पीले पड़ चुके पन्नों की कुछ किताबें
जो जोड़ी हवाई चप्पल
मैला कुचेला कुरता
और खून से लिखे विचार
आज एक बार फिर
वो शहर की अखबार में छपा
पर इस बार लावारिस लाश की
शिनाख्त वाले कॉलम में
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है