मैं सो सकूं मौला मुझे इतनी थकान हो
आकाश को छूती हुई चाहे उड़ान हो
सुख दुःख सफ़र में बांटना आसान हो सके
मैं चाहता हूँ मील के पत्थर में जान हो
है दर्द जो साझा तो मिल के सब ही बोल दें
मैं चाहता हूँ हाथ में सब के कमान हो
जब मौत का दिन तय नहीं तो हार किस लिए
जब तक रहे इंसान उसका दिल जवान हो
सुख चैन हो, कुछ कहकहे, थोड़ा सुकून भी
हर शहर के बाज़ार में ऐसी दुकान हो
इस दौर के उन्माद को रोकूंगा किस तरह
इंसान बन के रह सकूं तो इत्मीनान हो
आकाश को छूती हुई चाहे उड़ान हो
सुख दुःख सफ़र में बांटना आसान हो सके
मैं चाहता हूँ मील के पत्थर में जान हो
है दर्द जो साझा तो मिल के सब ही बोल दें
मैं चाहता हूँ हाथ में सब के कमान हो
जब मौत का दिन तय नहीं तो हार किस लिए
जब तक रहे इंसान उसका दिल जवान हो
सुख चैन हो, कुछ कहकहे, थोड़ा सुकून भी
हर शहर के बाज़ार में ऐसी दुकान हो
इस दौर के उन्माद को रोकूंगा किस तरह
इंसान बन के रह सकूं तो इत्मीनान हो
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