भरोसे से निकलोगे जब काम करने
बचा लोगे खुद को लगोगे जो गिरने
सफेदी सरों पे लगी है उतरने
समझ लो जवानी लगी अब बिखरने
किनारा हूँ मैं आँख भर देख लेना
चलो जब समुंदर को बाहों में भरने
यहाँ चैन से कौन जीने है देता
न जब चैन से कोई देता है मरने
वहीं पर उजाला नहीं हो सका है
जहां रोक रक्खीं हैं बादल ने किरनें
तेरे ख़त के टुकड़े गिरे थे जहां पर
वहीं पर निकल आए पानी के झरने
है आसान तलवार पे चलते रहना
कहा, हम चले जब मुहब्बत में गिरने
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