भूख लगी है दो रोटी तो खाने दो
कुछ पल को बस छाया है सुस्ताने दो
हाथ उठाया जब बापू ने गुस्से में
अम्मा बोली बच्चा है समझाने दो
बरगद का इक पेड़ है मेरे आँगन में
आंधी हो तूफ़ान उन्हें तो आने दो
अपनी मिट्टी उनको खींच के लाएगी
छोड़ के जाते हैं जो उनको जाने दो
काला बादल है फिर मेरे कब्ज़े में
सूखे खेतों में पानी बरसाने दो
कागज़ के जो फूल उगाये रहते हैं
ऐसे पेड़ों को जड़ से मुरझाने दो
मुझको मेरी माँ का साया काफी है
पाना है आकाश जिन्हें फिर पाने दो
कुछ पल को बस छाया है सुस्ताने दो
हाथ उठाया जब बापू ने गुस्से में
अम्मा बोली बच्चा है समझाने दो
बरगद का इक पेड़ है मेरे आँगन में
आंधी हो तूफ़ान उन्हें तो आने दो
अपनी मिट्टी उनको खींच के लाएगी
छोड़ के जाते हैं जो उनको जाने दो
काला बादल है फिर मेरे कब्ज़े में
सूखे खेतों में पानी बरसाने दो
कागज़ के जो फूल उगाये रहते हैं
ऐसे पेड़ों को जड़ से मुरझाने दो
मुझको मेरी माँ का साया काफी है
पाना है आकाश जिन्हें फिर पाने दो
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