आँख में उम्मीद जो पलती नहीं
रात काली ढल के भी ढलती नहीं
भूख भी है प्यास भी कुछ और भी
प्रेम से बस जिंदगी चलती नहीं
हौंसला तो ठीक है लकड़ी भी हो
आग वरना देर तक जलती नहीं
इश्क तिकड़म से भरा वो खेल है
दाल जिसमें देर तक गलती नहीं
है कहाँ मुमकिन हमारे बस में फिर
ज़िंदगी में हो कभी गलती नहीं
डोर रिश्तों की न टूटे जान लो
गाँठ आसानी से फिर खुलती नहीं
है शिकायत रब से क्यों जीते हुए
कुछ गुनाहों की सजा मिलती नहीं
रात काली ढल के भी ढलती नहीं
भूख भी है प्यास भी कुछ और भी
प्रेम से बस जिंदगी चलती नहीं
हौंसला तो ठीक है लकड़ी भी हो
आग वरना देर तक जलती नहीं
इश्क तिकड़म से भरा वो खेल है
दाल जिसमें देर तक गलती नहीं
है कहाँ मुमकिन हमारे बस में फिर
ज़िंदगी में हो कभी गलती नहीं
डोर रिश्तों की न टूटे जान लो
गाँठ आसानी से फिर खुलती नहीं
है शिकायत रब से क्यों जीते हुए
कुछ गुनाहों की सजा मिलती नहीं
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