स्वप्न मेरे: हम भी किसी हसीन की आहों में आ गए ...

बुधवार, 26 अक्टूबर 2016

हम भी किसी हसीन की आहों में आ गए ...

कुछ यूँ फिसल के वो मेरी बाहों में आ गए 
ना चाहते हुए भी निगाहों में आ गए

सच की तलाश थी में अकेला निकल पड़ा
जुड़ते रहे थे लोग जो राहों में आ गए 

हम भीगने को प्रेम की बरसात में सनम
कुछ देर बादलों की पनाहों में आ गए

था प्रेम उनसे उनके लगे झूठ सच सभी
ना चाह कर भी उनके गुनाहों में आ गए

मशहूर हो गया है हमारा भी नाम अब
हम भी किसी हसीन की आहों में आ गए 

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