नाम पर पूजा के ये हुड़दंग है
इस शहर की शांति तो भंग है
लूटता है आस्था के नाम पर
अब कमाने का निराला ढंग है
हर कोई आठों पहर है भागता
जिंदगी जैसे के कोई जंग है
घर का दरवाज़ा तो चौड़ा है बहुत
दिल का दरवाज़ा अगरचे तंग है
आइना काहे उसे दिखलाए हैं
उड़ गया चेहरे का देखो रंग है
युद्ध अपना खुद ही लड़ते हैं सभी
जिंदगी में कौन किसके संग है
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