हम झूठ भी कहेंगे तो सच मानते हैं वो
कहते हैं मुद्दतों से हमें जानते हैं वो
हर बात पे कहेंगे हमें कुछ नहीं पता
पर खाक हर गली की सदा छानते हैं वो
कुछ लोग टूट कर भी नहीं खींचते कदम
कर के हटेंगे बात अगर ठानते हैं वो
बारिश कभी जो दर्द की लाता है आसमां
चादर किसी याद की फिर तानते हैं वो
तो क्या हुआ नज़र से नहीं खुल के कह सके
भाषा को खूब प्रेम की पहचानते है वो ...
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