मुसलसल रहे आज तो कितना अच्छा ... प्रश्नों में खोए रहना
... जानने का प्रयास करना ... शायद व्यर्थ हैं सब बातें ... जबरन डालनी होती है
जीने की आदत आने वाले एकाकी पलों के लिए ... भविष्य की मीठी यादों के लिए वर्तमान में कुछ खरोंचें डालना ज़रूरी है, नहीं
तो समय तो अपना काम कर जाता है ...
जिंदगी क्या है
कई बार सोचने की कोशिश में भटकता है मन
शब्दकोष में लिखे तमाम अर्थ
झड़ने लगते हैं बेतरतीब
और गुजरते वक्त की टिकटिकी
हर पल जोड़ती रहती है नए सफे जिंदगी के अध्याय में
वक्त के पन्नों पर अगर नहीं उकेरा
खट्टी-मीठी यादों का झंझावात
नहीं खींचा कोई नक्शा सुनहरी शब्दों के मायने से
अगर नहीं डाली आदत वर्तमान में जीने की
तो इतना ज़रूर याद रखना
जिंदगी के कोरे सफे पर
समय की स्याही बना देती है जख्मी निशान
कुछ शैतानी दिमाग गाड़ देते हैं सलीब
रिसते हैं ताज़ा खून के कतरे जहाँ से उम्र भर
ज़रूरी है इसलिए हर अवस्था के वर्तमान को संवारना
पल-पल आज को जीने की आदत बनाना
ताकि भविष्य में इतिहास की जरूरत न रहे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है