यादें यादें यादें ... क्या आना बंद होंगी ... काश की रूठ
जाएँ यादें ... पर लगता तो नहीं और साँसों तक तो बिलकुल भी नहीं ... क्यों वक़्त
जाया करना ...
मिट्टी की
कई परतों के बावजूद
हलके नहीं होते
कुछ यादों की निशान
हालांकि मूसलाधार बारिश के बाद
साफ़ हो जाता है आसमान
साफ़ हो जाती हैं
गर्द की पीली चादर ओढ़े
हरी हरी मासूम पत्तियां
साफ़ हो जाती हैं
उदास घरों की टीन वाली छतें
ओर ... ये काली सड़क भी
रुकी रहती है जो
तेरे लौटने के इंतज़ार में
इंतज़ार है जो ख़त्म नहीं होता
जंगली गुलाब है
जो खिलता बंद नहीं करता
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