जुगनुओं से यूँ न दिल बहलाइए
जा के पुडिया धूप की ले आइए
पोटली यादों की खुलती जाएगी
वक़्त की गलियों से मिलते जाइए
स्वाद बचपन का तुम्हें मिल जाएगा
फिर उसी ठेले पे रुक के खाइए
होंसला मजबूत होता जाएगा
इम्तिहानों से नहीं घबराइए
फूल,
बादल, तितलियाँ सब हैं यहाँ
बेवजह किब्ला कभी मुस्काइए
सुर नहीं तो क्या हुआ मौका सही
जिंदगी के गीत खुल के गाइए
माँ सभी नखरे उठा सकती है फिर
आप बच्चे बन के तो इठ्लाईए
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