फूलों की कैद से पराग लेने दो
इन तितलियों से कुछ सुराग लेने दो
इस दौड़ में कहीं पिछड़ न जाएं हम
मंजिल अभी है दूर भाग लेने दो
राजा हो रंक पेट तो सताएगा
उनको भी तो चूल्हे से आग लेने दो
नज़दीक वो कभी नज़र न आएंगे
सोए हुए हैं शेर जाग लेने दो
हम आस्तीन में छुपा के रख लेंगे
इस शहर में हमको भी नाग लेने दो
या जुगनुओं को छोड़ दो यहाँ कुछ पल
या फिर हमें भी इक चराग़ लेने दो
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