किसी की याद के मटके भरेंगे
पुराने रास्तों पे जब चलेंगे
कभी मिल जाएं जो बचपन के साथी
गुज़रते वक़्त की बातें करेंगे
गए टूटी हवेली पर, यकीनन
दिवारों से कई किस्से झरेंगे
जो रहना भीड़ में तनहा न रहना
किसी की याद के बादल घिरेंगे
दिये ने कान में चुपके से बोला
हवा से हम भला कब तक डरेंगे
जो तोड़े मिल के कुछ अमरुद कच्चे
दरख्तों से कई लम्हे गिरेंगे
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