नफरतों की डालियाँ काटा करो
घी सभी बातों पे ना डाला करो
गोपियों सा बन सको तो बोलना
कृष्ण मेरे प्यार को राधा करो
तुम भी इसकी गिर्द में आ जाओगे
यूँ अंधेरों को नहीं पाला करो
दुःख हमेशा दिल के अंदर सींचना
सुख जो हो मिल जुल के सब साझा करो
खिड़कियों के पार है ताज़ा हवा
धूल यादों की कभी झाड़ा करो
मैं भी अपने झूठ कह दूंगा सभी
तुम जो सच कहने का फिर वादा करो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है