हम इसलिए फरेब में आते नहीं ... सुनो
आँखों से आँख उनकी मिलाते नहीं ... सुनो
अच्छा किया जो खुद ही ये झगड़ा मिटा दिया
इतने तो नाज़ हम भी उठाते नहीं ... सुनो
मंज़ूर है हमें जो ये है आपकी अदा
रूठे हुओं को हम भी मनाते नहीं ... सुनो
दो चूड़ियों की खनक हमको याद आ गई
घर बार वरना छोड़ के जाते नहीं ... सुनो
बस्ती के कुछ बुज़ुर्ग भी जलते हैं दीप से
रस्ता फकत चराग़ दिखाते नहीं ... सुनो
शीशे का घर है सब की नज़र है इसी तरफ
परदे न हों तो दीप जलाते नहीं ... सुनो
आँखों से आँख उनकी मिलाते नहीं ... सुनो
अच्छा किया जो खुद ही ये झगड़ा मिटा दिया
इतने तो नाज़ हम भी उठाते नहीं ... सुनो
मंज़ूर है हमें जो ये है आपकी अदा
रूठे हुओं को हम भी मनाते नहीं ... सुनो
दो चूड़ियों की खनक हमको याद आ गई
घर बार वरना छोड़ के जाते नहीं ... सुनो
बस्ती के कुछ बुज़ुर्ग भी जलते हैं दीप से
रस्ता फकत चराग़ दिखाते नहीं ... सुनो
शीशे का घर है सब की नज़र है इसी तरफ
परदे न हों तो दीप जलाते नहीं ... सुनो
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