खेत, पीपल, घर, कुआँ, पोखर मिलेगा
क्यों है ये
उम्मीद वो मंज़र मिलेगा
तुम गले लगना तो
बख्तर-बंद पहने
दोस्तों के पास
भी खंज़र मिलेंगा
कूदना तैयार हो
जो सौ प्रतीशत
भूल जाना की नया
अवसर मिलेगा
इस शहर में ढूंढना
मुमकिन नहीं है
चैन से सोने को
इक बिस्तर मिलेगा
देर तक चाहे शिखर
के बीच रह लो
चैन धरती पर
तुम्हे आकर मिलेगा
बैठ कर देखो
बुजुर्गों के सिरहाने
उम्र का अनुभव
वहीं अकसर मिलेगा
मन से मानोगे तो खुद
झुक जाएगा सर
यूँ तो हर मंदिर
में बस पत्थर मिलेगा
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