हज़ार काम उफ़ ये सोच के थक लेता हूँ
में बिन पिए जनाब रोज़ बहक लेता हूँ
ये फूल पत्ते बादलों में तेरी सूरत है
वहम न हो मेरा में पलकें झपक लेता हूँ
कभी न पास टिक सकेगी उदासी मेरे
तुझे नज़र से छू के रोज़ महक लेता हूँ
हरी हरी वसुंधरा पे सृजन हो पाए
में बन के बूँद बादलों से टपक लेता हूँ
तमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
में चाँद बन के टहनियों में अटक लेता
हूँ
मुझे सिफ़त अता करी है मेरे मौला ने
सुबह से शाम पंछियों सा चहक लेता हूँ
यही असूल मुद्दतों से मेरा है काइम
ख़ुशी के साथ साथ ग़म भी लपक लेता हूँ
तमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
में ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ
सितम हज़ार सह लिए हैं सभी हँस हँस के
किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता
हूँ
ये फूल पत्ते बादलों में तेरी सूरत है
जवाब देंहटाएंवहम न हो मेरा में पलकें झपक लेता हूँ
उफ्फ़ क्या बात हैं बेहद romantic
बहुत शुक्रिया ज़फ़र भाई
हटाएंThis is Very very nice article. Everyone should read. Thanks for sharing and I found it very helpful. Don't miss WORLD'S BEST
हटाएंGAMES
वाहह्हह... वाहह्हह... बहुत उम्दा... लाज़वाब गज़ल..।शानदार हर शेर अलहदा ...बहुत जानदार 👌👌👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया श्वेता जी
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-04-2019) को "मतदान करो" (चर्चा अंक-3300) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका शास्त्री जी ...
हटाएंतमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
जवाब देंहटाएंमें चाँद बन के टहनियों में अटक लेता हूँ
वाह....., आपकी सृजनात्मकता और कल्पना शक्ति के साथ शब्द-भंडार भी भी अतुलनीय है ।
आ बार मीना जी
हटाएंवाह ! बेहतरीन आदरणीय 👌
जवाब देंहटाएंसादर
शुक्रिया अनीता जी
हटाएंतमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
जवाब देंहटाएंमें ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ
सितम हज़ार सह लिए हैं सभी हँस हँस के
किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ
वा...व्व...बहुत ही उम्दा प्रस्तूति, दिगम्बर जी।
आभार ज्योति जी
हटाएंफूल पत्ते बादलों में तेरी सूरत है
जवाब देंहटाएंवहम न हो मेरा में पलकें झपक लेता हूँ
वाह वाह वाह वाह.. क्या बात है क्या बात है!
शुक्रिया विरेंद्र जी
हटाएंवाह। क्या बात है। बहक लेना बिना पिए ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सुशील जी
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/04/2019 की बुलेटिन, " ८ अप्रैल - बहरों को सुनाने के लिये किए गए धमाके का दिन - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार सर
हटाएंतमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
जवाब देंहटाएंमैं चाँद बन के टहनियों में अटक लेता हूँ !
हमेशा की तरह बेहतरीन है हर पंक्ति,संग्रहणीय रचना।
मुझे सिफ़त अता करी है मेरे मौला ने
सुबह से शाम पंछियों सा चहक लेता हूँ
यही असूल मुद्दतों से मेरा है काइम
ख़ुशी के साथ साथ ग़म भी लपक लेता हूँ।
बहुत खूब ! हर शेर वाह कहने को मजबूर करता है।
बहुत आभार मीना जी ...
हटाएंतुझे नज़र से छू के रोज़ महक लेता हूँ
जवाब देंहटाएंक्या बात है ... सुंदर अंदाज़
हर शेर लाजवाब
आभार वर्मा जी
हटाएंतमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
जवाब देंहटाएंमें ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ
हर एक शेर लाजबाब..... ,सादर नमस्कार आप को
बहुत आभार कामिनी जी
हटाएंतमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
जवाब देंहटाएंमें ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब....एक से बढ़कर एक शेर...।
आभार सुधा जी
हटाएंकिसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ ...
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली रचना !
शुक्रिया सतीश जी
हटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंआपका क्या कहने ....
हज़ार काम उफ़ ये सोच के थक लेता हूँ
में बिन पिए जनाब रोज़ बहक लेता हूँ
शुक्रिया जी
हटाएंतमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
जवाब देंहटाएंमें ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ...
जिंदगी की वास्तविकता है।
वेहतरीन गज़ल।
बहुत आभार है आपका ...
हटाएं
हटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 10 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आभार आपका बहुत बहुत ...
हटाएंकभी न पास टिक सकेगी उदासी मेरे
जवाब देंहटाएंतुझे नज़र से छू के रोज़ महक लेता हूँ
वाह जबरदस्त और रोमांटिक अलफ़ाज़ ...लेकिन इस बार पहली बार टाइपिंग मिस्टेक हुई हैं आपसे ...मैं को में लिखा है कई बार ..मजा आ जाता है आपकी गजलें पढ़के ...इंतज़ार रहता है
बहुत आभार आपका आदरणीय ... अच्छा लगाता है आपका निरंतर प्रेम ...
हटाएंवाह बहुत ही उम्दा बेहतरीन गजल हर शेर लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंशायरी में शुद्ध हिंदी का एक शेर बेमिसाल।
बेमिसाल ।
जी आभार आपका ..
हटाएंवाह!!!लाजवाब !!!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार शुभा जी
हटाएंजीवन जब एक सौगात नजर आने लगे और जर्रे जर्रे में उसकी खबर आने लगे, तभी शब्दों में इतनी गहराई भर जाती है कि प्रशांत महासागर भी उसके सामने कम हो जाता है, बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए !
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार इस रचनात्मक प्रतिक्रिया के लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीय
जवाब देंहटाएंआभार आपका अनुराधा जी ...
हटाएंतमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
जवाब देंहटाएंमें ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ....बहुत खूब
शुक्रिया जी ...
हटाएंआपकी ग़ज़लगोई नए अंदाज़ पा रही है.
जवाब देंहटाएंतमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
में चाँद बन के टहनियों में अटक लेता हूँ
क्या बात है.
बहुत आभार है आपका ...
हटाएंयही असूल मुद्दतों से मेरा है काइम
जवाब देंहटाएंख़ुशी के साथ साथ ग़म भी लपक लेता हूँ
वाह!
क्या खुब कहा है आपने!!
बहुत शुक्रिया राजेश जी ...
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