कौन मेरे सपनों में आ के रहता है
जिस्म किसी भट्टी सा हरदम दहता है
यादों की झुरमुट से धुंधला धुंधला सा
दूर नज़र आता है साया पतला सा
याद नहीं आता पर कुछ कुछ कहता है
कौन मेरे सपनों ...
बादल होते है काले से दूर कहीं
रीता रीता मन होता है पास वहीं
आँखों से खारा सा कुछ कुछ बहता है
कौन मेरे सपनों ...
घाव कहीं होता है सीने में गहरा
होता है तब्दील दिवारों में चेहरा
जर्जर सा इक पेड़ कहीं फिर ढहता है
कौन मेरे सपनों ...
दर्द सुनाई देता हैं इन साँसों में
टूटन सी होती है फिर से बाहों में
जिस्म बड़ी शिद्दत से गम को सहता है
कौन मेरे सपनों ...
दर्द सुनाई देता हैं इन साँसों में
जवाब देंहटाएंटूटन सी होती है फिर से बाहों में
जिस्म बड़ी शिद्दत से गम को सहता है
कौन मेरे सपनों ... बेहतरीन रचना आदरणीय
aabhar Anuradha ji ...
हटाएंवाह हमेशा की तरह लाजवाब रचना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सुशील जी ...
हटाएंदिगंबर जी, बहुत दिनों बाद आप की पोस्ट पर पहुँचा हूँ...कलम की धार उतनी ही पैनी है...आनंद आ गया...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा लगा आपको ब्लॉग पर देख कर ... पुराने मिलते हैं तो मज़ा दूना हो जाता है ... आशा है आप कुशल से होंगे ...
हटाएंपीएचडी करने में व्यस्त हो गया था...इसलिये चाहते हुये भी ब्लॉग लेखन-पठन से दूर हो गया...पुराने लोग जिन्हें मै फ़ॉलो करता था...अब कम दिख रहे हैं...कुछ आप जैसे उम्दा धुरन्धर लगे हुये हैं इस पुनीत कार्य में...मेरी नज़र में आप एक समर्पित और परिपक्व शायर हैं...ऐसे ही लिखते रहिये...सलाम आपको...
हटाएंये तो अच्छी बात है अब आप पी एच डी हो रहे हैं ... डॉ साब होने वाले हैं ... मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें ...
हटाएंकौन मेरे सपनों में आ के रहता है?
जवाब देंहटाएंगहरी भावनाओं से ओत प्रोत भावपूर्ण रचना आदरणीय दिगम्बर जी | विस्मय से भरा ये प्रश्न अनुत्तरित भी है और मन इसका जान कर भी देना नहीं चाहता | सभी पंक्तियाँ ह्रदय को स्पर्श करती हैं | सुंदर लेखन के लिए सादर शुभकामनाएँ |
आपका निरंतर सहयोग और प्रोत्साहन और अच्छा लिखने को अग्रसर करता है ... बहुत आभार आपका ...
हटाएंबहुत सुंदर और हृदयस्पर्शी सृजन ।
जवाब देंहटाएंआभार मीना जी ...
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (03-07-2019) को "मेघ मल्हार" (चर्चा अंक- 3385) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभार शास्त्री जी ...
हटाएंमीरा ने कहा था इस जगत में 'वह' एक ही है, शेष सभी गोपियाँ हैं..इश्क की हर दास्ताँ उसी एक अनाम के लिए हैं..सुंदर सृजन..
जवाब देंहटाएंबहुत आभार है आपका ...
हटाएंसपनो की सुंदर और हकीक़त से रूबरू कराती रचना।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नीतीश जी ...
हटाएंउम्दा भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गीत
आभार विभा जी
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 3 जुलाई 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत शुक्रिया Pammi जी
हटाएंयादों की दहक के अनुभव-
जवाब देंहटाएंघाव कहीं होता है सीने में गहरा
होता है तब्दील दिवारों में चेहरा
बहुत ख़ूब.
बहुत आभार सर ...
हटाएंघाव कोईं सिने में होता हैं गहरा
जवाब देंहटाएंवाह बढिया रचना
शुक्रिया आपका ...
हटाएंबहुत दिनों बाद एक सुंदर भावपूर्ण गीत आपकी क़लम से पढ़कर अच्छा लगा सर।
जवाब देंहटाएंहर बंध बहुत अच्छा है। सराहनीय सृजन।
बहुत आभार श्वेता जी ...
हटाएंदर्द सुनाई देता हैं इन साँसों में
जवाब देंहटाएंटूटन सी होती है फिर से बाहों में
जिस्म बड़ी शिद्दत से गम को सहता है
कौन मेरे सपनों ...
वाह!!!
बहुत ही लाजवाब हमेशा की तरह
उत्कृष्ट सृजन
आभार सुधा जी ...
हटाएंबहुत सुन्दर रचना .धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका
बहुत शुक्रिया जी ...
हटाएंबड़ी शिद्दत से पूछा गया सवाल है....
जवाब देंहटाएंजैसे खुद को खुद की ही खोज है, बेचैनी है। सुंदर, भावपूर्ण, एक कसकभरा गीत। सादर।
आभार आपके शब्दों का ...
हटाएंवाह!!!दिगंबर जी ,बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंरीता-रीता मन होता है पास वहीं
आँखों से कुछ खारा -खारा सा बहता है ...वाह क्या बात है!
आभार शुभा जी ...
हटाएंभावों की गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआप डूब कर लिखते हैं
सादर
बहुत आभार ज्योति जी ...
हटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत आभर आपका ...
हटाएंजिस्म बड़ी शिद्दत से गम को सहता है
जवाब देंहटाएंकौन मेरे सपनों ...
वाह!!!
बहुत ही उत्कृष्ट सृजन दिगंबर जी
घाव कहीं होता है सीने में गहरा
जवाब देंहटाएंहोता है तब्दील दिवारों में चेहरा
जर्जर सा इक पेड़ कहीं फिर ढहता है
कौन मेरे सपनों ...वाह बहुत खूब !!