आशा की आहट का घोड़ा सरपट दौड़ रहा सुखमय जीवन-हार मिला साँसों में महका स्पंदन मधुमय यौवन भार खिला नयनों में सागर सनेह का सपने जोड़ रहा सरपट दौड़ रहा ... खिली धूप मधुमास नया खुले गगन में हल्की हल्की वर्षा का आभास नया मन अकुलाया हरी घास पर झटपट पौड़ रहा सरपट दौड़ रहा ... सागर लहरों को बहना है पृथ्वी को भी कर्म पथिक-सा इसी तरह चलते रहना है कौन चितेरा नवल सृष्टि से राहें मोड़ रहा सरपट दौड़ रहा ... |
सोमवार, 22 जुलाई 2019
आशा का घोड़ा ...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-07-2019) को "बाकी बची अब मेजबानी है" (चर्चा अंक- 3405) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभर आपका ...
हटाएंसागर लहरों को बहना है
जवाब देंहटाएंपृथ्वी को भी कर्म पथिक-सा
इसी तरह चलते रहना है
कौन चितेरा नवल सृष्टि से
राहें मोड़ रहा
सरपट दौड़ रहा... बेहतरीन रचना आदरणीय
बहुत आभर आपका ... अनुराधा जी ...
हटाएंसागर लहरों को बहना है
जवाब देंहटाएंपृथ्वी को भी कर्म पथिक-सा
इसी तरह चलते रहना है
कौन चितेरा नवल सृष्टि से
राहें मोड़ रहा
सरपट दौड़ रहा ...आशा का घोडा. .... क्या बात ! बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजी कविता
बहुत आभर आपका योगी जी ...
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंवाह ये आशा यूं ही बनी रहे
जवाब देंहटाएंआभार आपका जी ...
हटाएंवाह! बेहतरीन सृजन सर
जवाब देंहटाएंसादर
आभार अनीता जी ...
हटाएंकौन चितेरा...राहें मोड़ रहा...बस आशा के घोड़े को मत छोड़िये...राहें वो बनाता रहेगा...👌👌👌
जवाब देंहटाएंजी आभार आपका ...
हटाएंवाह! सचमुच सरपट दौड़ रहा है आशा का घोड़ा आपकी लेखनी के माधुर्य में। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया विश्वमोहन जी ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना 24 जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आभार तृप्ति जी ...
हटाएंवाह बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नितीश जी ...
हटाएंबेहद खूबसूरत अहसासों का सृजन ...बेहतरीन रचना ।
जवाब देंहटाएंआभार मीना जी ...
हटाएंवाह!!दिगंबर जी ,बेहतरीन !!आशा की आहट का घोडा ,सरपट दौड़ रहा .......वाह!!
जवाब देंहटाएंआभार बहुत बहुत आपका ...
हटाएंनासवा जी, ये आशा ही तो हैं जिसके भरोसे इंसान जीवन जीता हैं। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ज्योति जी ...
हटाएंवाह अति आसमयी सराहनीय अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंमन में एक उत्साह भरती सकारात्मक सृजन।
शुक्रिया श्वेता जी ...
हटाएंवाह आशा का घोड़ा सचमुच सरपट दौड़ा ।
जवाब देंहटाएंमाधुर्य और सुंदर काव्यात्मकता लिए सरस रचना नासा जी ।
अप्रतिम।
बहुत शुक्रिया ...
हटाएंआशा का घोड़ा !!!बहुत ही सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
अनुपम सृजन...
आभार सुधा जी ...
हटाएंआशा तो जीवन का आधार है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
शुक्रिया कविता जी ...
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंसागर लहरों को बहना है
जवाब देंहटाएंपृथ्वी को भी कर्म पथिक-सा
इसी तरह चलते रहना है
कौन चितेरा नवल सृष्टि से
राहें मोड़ रहा
सरपट दौड़ रहा .
आशा का दौड़ता हुआ ये घोड़ा बहुत ही अनुपम है | जीवन में उमीद का होना ही तो बहुत बड़ा संबल है | सादर शुभकामनायें
साहित्य में जिस धारा को छायावाद कहा जाता है यह कविता उसी धारा में जा कर मिल रही है. बहुत कोमल और सुंदर.
जवाब देंहटाएं