हम कहाँ कहते हैं केवल स्वयं का ही त्राण हो
रोज़ प्रातः बोलते हैं विश्व का कल्याण हो
है सनातन धर्म जिसकी भावना मरती नहीं
निज की सोचें ये हमारी संस्कृति कहती नहीं
हो गुरु बाणी के या फिर बुद्ध का निर्वाण हो
राम को ही है चुनौती राम के ही देश में
शत्रु क्या घर में छुपा है मित्रता के वेश में?
राम मंदिर का पुनः उस भूमि पर निर्माण हो
मान खुद का ना रखा तो कौन पूछेगा हमें
हम नहीं जागे तो फिर इतिहास खोजेग हमें
दृष्टि चक्षू पर धनुरधर लक्ष्य पर ही बाण हो
कामना इतनी है बस मुझको प्रभू वरदान दे
सत्य पथ का मैं पथिक बन के चलूँ यह ज्ञान दे
देश हित कुछ कर सकूँ काया तभी निष्प्राण हो
वाह
जवाब देंहटाएंकामना इतनी है बस मुझको प्रभू वरदान दे
सत्य पथ का मैं पथिक बन के चलूँ यह ज्ञान दे
देश हित कुछ कर सकूँ काया तभी निष्प्राण हो
आमीन और साथ में सलाह भी आदतन
हवा में देशहित की बात करने वालों को भी प्राप्त आप जैसा ज्ञान हो
बहुत आभार सुशील जी
हटाएंकामना इतनी है बस मुझको प्रभू वरदान दे
जवाब देंहटाएंसत्य पथ का मैं पथिक बन के चलूँ यह ज्ञान दे
देश हित कुछ कर सकूँ काया तभी निष्प्राण हो
अनुपम...निज राष्ट्रभक्ति और मान के प्रति अत्यन्त पुनीत भावों का सृजन ।
आभार मीना जी
हटाएंहमारी संस्कृति ने हमेशा विश्व कल्याण की बात की है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति दिगम्बर नवासा जी नमन
जी सच कहा है आपने ...
हटाएंबहुत आभार
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २५०० वीं बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ...
जवाब देंहटाएंढाई हज़ारवीं ब्लॉग-बुलेटिन बनाम तीन सौ पैंसठ " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत आभार
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-08-2019) को "खोया हुआ बसन्त" (चर्चा अंक- 3426) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री जी
हटाएंबहुत सुंदर उच्च भावों और पवित्र कामनाओं से भरी रचना।
जवाब देंहटाएंकामना इतनी है बस मुझको प्रभू वरदान दे
सत्य पथ का मैं पथिक बन के चलूँ यह ज्ञान दे
देश हित कुछ कर सकूँ काया तभी निष्प्राण हो
अति उत्तम सृजन🙏🙏
बहुत शुक्रिया श्वेता जी
हटाएंBahut Hi Sundar. Jai Shri Ram
जवाब देंहटाएंशुक्रिया विकेश जी
हटाएंरोज़ प्रातः बोलते हैं विश्व का कल्याण हो
जवाब देंहटाएंसर्वे भवन्तु सुखिनः के भावों से भरी बहुत ही उत्कृष्ट रचना....वाह!!!
बहुत लाजवाब।
आभार सुधा जी
हटाएंआदरणीय भ्राता,
जवाब देंहटाएंआपके पवित्र विचारों और कामनाओं की जय हो ।माॅ भारती का अनंत काल तक अपने आलौकिक रूप में विश्व वंदन हो।
सादर नमन।
बहुत आभार पल्लवी जी
हटाएंमान खुद का ना रखा तो कौन पूछेगा हमें
जवाब देंहटाएंहम नहीं जागे तो फिर इतिहास खोजेग हमें...
बेहतरीन सृजन सर
सादर
आभार अनीता जी ....
हटाएंकामना इतनी है बस मुझको प्रभू वरदान दे
जवाब देंहटाएंसत्य पथ का मैं पथिक बन के चलूँ यह ज्ञान दे
देश हित कुछ कर सकूँ काया तभी निष्प्राण हो
बहुत बढ़िया कामना,दिग्सम्बर भाई।
बहुत आभार ज्योति जी ...
हटाएंकामना इतनी है बस मुझको प्रभू वरदान दे
जवाब देंहटाएंसत्य पथ का मैं पथिक बन के चलूँ यह ज्ञान दे
सुन्दर और सच्ची बात कही है...बेहतरीन सृजन नवासा जी
आभार आपका संजय जी ...
हटाएंबेहतरीन सृजन नासवा जी
हटाएंकामना इतनी है बस मुझको प्रभू वरदान दे
जवाब देंहटाएंसत्य पथ का मैं पथिक बन के चलूँ यह ज्ञान दे
देश हित कुछ कर सकूँ काया तभी निष्प्राण हो ...बहुत सुंदर रचना
बहुत आभार है ...
हटाएंसत्य का पथ ही अभीष्ट है. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी
हटाएंआपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ...
हटाएंमान खुद का ना रखा तो कौन पूछेगा हमें
जवाब देंहटाएंहम नहीं जागे तो फिर इतिहास खोजेग हमें
दृष्टि चक्षू पर धनुरधर लक्ष्य पर ही बाण हो...
भावनाओं को उद्वेलित करती श्रेष्ठ कृति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
आभार पुरुषोत्तम जी ...
हटाएंराम को ही है चुनौती राम के ही देश में
जवाब देंहटाएंशत्रु क्या घर में छुपा है मित्रता के वेश में?
राम मंदिर का पुनः उस भूमि पर निर्माण हो...हर भारतीय का एक सपना है ये और आशा करते हैं कि राम जी की कृपा , राम जी पर जरूर होगी !
बिलकुल होगी यही विश्वास है ...
हटाएंआभार आपका ...
अति उत्तम बेहतरीन रचना
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