आदरणीय दिगम्बर जी , हार्दिक शुभकामनायें और बधाई आपकी नयी पुस्तक के लिए | हिंदी गज़ल को नए आयाम देता आपका सार्थक सृजन अपनी मिसाल आप है | गाँव की माटी की सुगंध से लिपटी और प्रेम के उच्चशिखर को छूती आपकी रचनाएँ , नए बिम्ब विधान और सादगी से पाठकों के भीतर बड़ी सरलता से प्रवेश करती हैं | शब्दनगरी से लेकर यहाँ तक मैंने आपकी जितनी रचनाएँ पढ़ीं सब एक दूसरे से अलग रंग और मयार की हैं |'' कोशिश माँ को समेटने की ''से एक बहुत ही भावपूर्ण संग्रह का बोध होता है पुस्तक के कवर पेज की साज सज्जा अत्यंत आकर्षक और मनमोहक है | आशा है आपके ब्लॉग की तरह ही आपकी नयी पुस्तक पाठकों के बीच लोकप्रिय होगी ,मेरी यही दुआ और कामना है | आपका अपने ही शब्दों में परिचय बहुत भावपूर्ण हैं | बहुत सी बातें आपके बारे में पता चली | अच्छा लगा जानकार कि आप भी हरिभूमि हरियाणा से संबंध रखते हैं | एक बार फिर से आपको हार्दिकशुभकामनायें |
हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई सर। मुझे एक बात कहनी है कि परिचय को एक बार फिर पढ़कर प्रूफरीडिंग कर लें। एकाध वाक्य में गलतियाँ लग रही हैं। पुस्तक का नाम बहुत अच्छा लगा।
जी नमस्ते, आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को "सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७) पर भी होगी। चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित है …. अनीता सैनी
.. वाह .!!! शीर्षक से ही #मां की रसोई घर में कुछ पकाने की खुशबू सी एहसास आसपास तैरने लगी हैं ..यकीनन आपकी आनेवाली किताब भी अपने नाम के अनुरूप ही सब कुछ सहेज कर एक बेहतरीन किताब के रूप में सभों के समक्ष आनेवाली है ..बहुत खूबसूरत शीर्षक आपने चुना है #मां यह सब है ही ऐसा कि इस एक शब्द में सारा संसार सिमट आता है मुझे भी इंतजार रहेगा..ढेर सारी शुभकामनाएं..!!
आदरणीय दिगम्बर जी , हार्दिक शुभकामनायें और बधाई आपकी नयी पुस्तक के लिए | हिंदी गज़ल को नए आयाम देता आपका सार्थक सृजन अपनी मिसाल आप है | गाँव की माटी की सुगंध से लिपटी और प्रेम के उच्चशिखर को छूती आपकी रचनाएँ , नए बिम्ब विधान और सादगी से पाठकों के भीतर बड़ी सरलता से प्रवेश करती हैं | शब्दनगरी से लेकर यहाँ तक मैंने आपकी जितनी रचनाएँ पढ़ीं सब एक दूसरे से अलग रंग और मयार की हैं |'' कोशिश माँ को समेटने की ''से एक बहुत ही भावपूर्ण संग्रह का बोध होता है पुस्तक के कवर पेज की साज सज्जा अत्यंत आकर्षक और मनमोहक है | आशा है आपके ब्लॉग की तरह ही आपकी नयी पुस्तक पाठकों के बीच लोकप्रिय होगी ,मेरी यही दुआ और कामना है | आपका अपने ही शब्दों में परिचय बहुत भावपूर्ण हैं | बहुत सी बातें आपके बारे में पता चली | अच्छा लगा जानकार कि आप भी हरिभूमि हरियाणा से संबंध रखते हैं | एक बार फिर से आपको हार्दिकशुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंaapka bahut aabhar ...
हटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई सर। मुझे एक बात कहनी है कि परिचय को एक बार फिर पढ़कर प्रूफरीडिंग कर लें। एकाध वाक्य में गलतियाँ लग रही हैं। पुस्तक का नाम बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंji sahi kah rahi hain aap ... kuch galtiyan hain vo theek karne ka bola hai ... bahut aabhar aapka ...
हटाएंहार्दिक शुभकामनाएँँ एवं बधाई नासवा जी । आपकी किताब के प्रकाशित होने की प्रतीक्षा रहेगी ।
जवाब देंहटाएंaabhar Meena ji ...
हटाएंमेरी शुभकामनायें....माँ ...यादों को इस तरह सहेजना...आह!!
जवाब देंहटाएंThank you Sameer Bhai ...
हटाएंवाह बहुत सुन्दर। ढेरों शुभकामनाएं। इन्तजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंAbhar Susheel ji ...
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को "सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
aabhar Anita ji ...
हटाएंबहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत आभार अनीता जी 🙏🙏🙏
हटाएंहार्दिक बधाई एवं अनंत शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंशुक्रिया 🙏🙏🙏 राकेश जी
हटाएंbahut bahut badhaee
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार विकेश जी ...
हटाएंमाँ को समर्पित यह भावुक संग्रह के लिए हार्दिक शुभकामनायें नासवा जी....... इन्तजार रहेगा
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार संजय जी ...
हटाएं.. वाह .!!! शीर्षक से ही #मां की रसोई घर में कुछ पकाने की खुशबू सी एहसास आसपास तैरने लगी हैं ..यकीनन आपकी आनेवाली किताब भी अपने नाम के अनुरूप ही सब कुछ सहेज कर एक बेहतरीन किताब के रूप में सभों के समक्ष आनेवाली है ..बहुत खूबसूरत शीर्षक आपने चुना है #मां यह सब है ही ऐसा कि इस एक शब्द में सारा संसार सिमट आता है मुझे भी इंतजार रहेगा..ढेर सारी शुभकामनाएं..!!
जवाब देंहटाएंदिल से आभार आपका अनीता जी ... 🙏🙏🙏
हटाएंआपको बहुत बहुत बधाई दिगंबर जी. आपकी अधिकतर कविताएँ पढ़ी हुई हैं. उसके हम सभी कायल हैं. पुस्तक प्रकाशन पर आपको फिर बधाई. कवर पेज बहुत सुंदर है.
जवाब देंहटाएंबहुत आभर आपका सर ...
हटाएंVery good write-up. I certainly love this website. Thanks!
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