स्वप्न मेरे: कोशिश माँ को समेटने की

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

कोशिश माँ को समेटने की

#कोशिश_माँ_को_समेटने_की
बहुत आभार बोधि प्रकाशन का, आदरणीय मायामृग जी का, सभी मित्र, पत्नी, बच्चे, भाई-बंधुओं का और माँ का (जो जहाँ भी है, मेरे करीब है) ... जिनके सहयोग और प्रेरणा के बिना ये संभव न होता ... ये हर किसी के मन के भाव हैं मेरी बस लेखनी है ... 

हाँ एक बात और ... अगर इस किताब को पढ़ने के बाद, एक बच्चे का दिल, एक अंश भी बदल सके तो मेरा सात जन्मों का लिखना सार्थक होगा ...  

किताब अमेज़न पर उपलब्ध है ... 

लिंक साझा कर रहा हूँ ...

Hey buddies ... now my work is over, your started ...

https://www.amazon.in/dp/B081NJ3ZKD?ref=myi_title_dp


29 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (05-12-2019) को    "पत्थर रहा तराश"  (चर्चा अंक-3541)    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।  
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. रोम रोम से बधाई और शुभकामनाएं

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  3. आपकी किताब की प्रतीक्षा तब से थी जब से आपने जानकारी साझा की। शेष प्रतिक्रिया किताब पढ़ने के बाद ..,बहुत बहुत बधाई ।

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    1. मुझे आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी ...
      बहुत आभार ...

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  4. पुस्तक प्रकाशन पर आपको बहुत बधाई.

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  5. आदरणीय सर, पुस्तक ऑर्डर कर दी थी। आज प्राप्त हो गई। बाकी तो पढ़कर बताऊंगी। अमेजान पर आपकी पुस्तक खरीदने में COD का ऑप्शन है जो मेरे जैसे technically backward लोगों के लिए अच्छी सुविधा है। सादर।

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    1. बहुत आभारी हूँ आपका मीना जी ... आप सामवेदनशील रचनाकार हैं, मुझे विश्वास है मेरी डायरी आपके मन को छुएगी ... मुझे आपकी समीक्षा की दिल से प्रतीक्षा रहेगी ...

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  6. 'कोशिश माँ को समेटने की' डायरी जैसा अहसास...हर रचना माँ के लिए.. अद्भुत..बहुत सी बातें खुद के बहुत करीब लगींं .कभी खुद को माँ की याद दिलाती... कभी खुद को माँ के रूप में आपकी माँ के करीब समझती । बहुत बढ़िया और संग्रहणीय...Book की कुछ रचनाओं में उससे पूर्व का गद्य मेंं परिचय पढ़ कर बरबस मुँह से निकलता है- awesome..., माँ के लिए गीत एवं गज़ल पुस्तक को पूर्णता प्रदान करते हैं । यूं ही लिखते रहिए..हार्दिक शुभकामनाएँँ ।

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    1. बहुत आभार मीना जी 🙏🙏🙏 रचनायें आपको दिल में क़रीब लगीं तो लगा की लिखना सार्थक हुआ ...
      यदि आपको ठीक लगे तो एक समीक्षा के हिसाब से इसे लिखेंगी तो अपने ब्लॉग और फ़ेसबुक पे डालूँगा ... किंतु अगर आपको ठीक लगे और आप समय निकाल सकें ...

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  7. जी प्रयास करूंगी🙏🙏 सफलता मिली तो हार्दिक खुशी होगी मुझे .

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  8. बहुत बहुत बधाई,दिगम्बर भाई।

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  9. पुस्तक प्रकाशन पर आपको बहुत बधाई.

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  10. बहुत शानदार सर्,
    बधाई हो आपको बहुत बहुत।आज ही मंगवाता हूँ।पिछले कई सालों से आपकी कविता का रासन करते आ रहा हूँ।आज साक्षात दरिया ही मिल गया।
    आभार

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