पता नही प्रेम है के नही ... पर कुछ करने का मन करना
वो भी किसी एक की ख़ातिर ... जो भी नाम देना चाहो दे देना ... हाँ ... जैसे कुछ शब्द
रखते हैं ताकत अन्दर तक भिगो देने की, वैसे कुछ
बारिशें बरस कर भी नहीं बरस पातीं ... लम्हों का क्या ... कभी सो गए कभी चुभ गए
... ये भी तो लम्हे हैं तितर-बितर यादों से ...
रात के तीसरे पहर
पसरे हुए घने अँधेरे की चादर तले
बाहों में बाहें डाल दिन के न निकलने की दुआ माँगना
प्रेम तो नहीं कह सकते इसे
किस्मत वाले हैं जिन्होंने प्रेम नहीं किया
जंगली गुलाब के गुलाबी फूल उन्हें गुलाबी नज़र आते
हैं
उतार नहीं पाता ठहरी हुयी शान्ति मन में
कि आती जाती साँसों का शोर
खलल न डाल दे तुम्हारी नींद में
तुम इसे प्यार समझोगी तो ये तुम्हारा पागलपन होगा
हर आदमी के अन्दर छुपा है शैतान
हक़ है उसे अपनी बात कहने का
तुमसे प्यार करने का भी
काश के टूटे मिलते सड़कों पे लगे लैम्प
काली हो जाती घनी धूप
आते जातों से नज़रें बचा कर
टांक देता जंगली गुलाब तेरे बालों में
वैसे मनाही तो नहीं तुम्हें चूमने की भी
#जंगली_गुलाब
वाह ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंबहुत आ हर साधना जी ...
हटाएंजैसे कुछ शब्द रखते हैं ताकत अन्दर तक भिगो देने की, वैसे कुछ बारिशें बरस कर भी नहीं बरस पातीं ...
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!
निशब्द हूँ ...क्या बात!!!
किस्मत वाले हैं जिन्होंने प्रेम नहीं किया
जंगली गुलाब के गुलाबी फूल उन्हें गुलाबी नज़र आते हैं....और प्रेम करने वालों को जंगली गुलाब में प्रेम के न जाने कितने रंग एक साथ नजर आते हैं...हैं न...
आज तो आपका ये जंगली गुलाब कुछ और और खिल गया है..।अपने पुराने रहस्य के साथ....
लाजवाब ..बहुत ही लाजवाब।
नमन आपको और आपकी लेखनी को।
बहुत आभार सुधा जी ...
हटाएंबहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंगुलाबी रंग की पूर्णता समेटे बेमिसाल जंगली गुलाब ...कमाल की जादूगरी है सृजनात्मकता में . अत्यंत सुन्दर ।
जी एक कोशिश है ... आभार आपका ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंकिस्मत वाले हैं जिन्होंने प्रेम नहीं किया
जंगली गुलाब के गुलाबी फूल उन्हें गुलाबी नज़र आते हैं
क्या खूबसूरत लिखा है आपने। मजा आ गया।
शुक्रिया नीतीश जी ...
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-04-2020) को "देश में टेलीविजन इतिहास की कहानी लिखने वाला दूरदर्शन " (चर्चा अंक-3678) पर भी होगी। --
जवाब देंहटाएंसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभार शास्त्री जी ...
हटाएंरात के तीसरे पहर
जवाब देंहटाएंपसरे हुए घने अँधरे की चादर तले
बाहों में बाहें डाल दिन के न निकलने की दुआ माँगना
प्रेम तो नहीं कह सकते इसे
किस्मत वाले हैं जिन्होंने प्रेम नहीं किया
जंगली गुलाब के गुलाबी फूल उन्हें गुलाबी नज़र आते हैं-------वाह ! खूबसूरत ! प्रेम के न जाने कितने आयाम हैं ! प्रेम की न जाने कितनी अनुभूतियाँ हैं ! यह भी एक अनुभूति है जिसमें प्रेम रहित व्यक्ति भाग्यशाली हो जाता है ! मगर प्रेम तो जीवन की अनिवार्य शर्त है ! उसके बिना तो जीवन ही अधूरा है ! शब्दाभाव से पीड़ित, इश्क में तड़पता इंसान विक्षिप्त हो कर रेगिस्तान में भटकता है ! और अगर शब्दों का सहारा मिल जाय तो अधूरे इश्क की मुकम्मल दास्तान लिखता है ! बड़ी खूबसूरती से आप ने वही किया है ! लाजवाब !!
उतार नहीं पाता ठहरी हुई शांति मन में
कि आती जाती साँसों का शोर
खलल न डाल दे तुम्हारी नींद में
तुम इसे प्यार समझोगी तो ये तुम्हारा पागलपन होगा
हर आदमी के अंदर छुपा है शैतान
हक़ है उसे अपनी बात कहने का
तुमसे प्यार करने का भी --------- ओह ! प्यार इतना गहरा ! हाँ सर ! गहरा ! बहुत गहरा ! इतना गहरा कि अपने प्यार की नींद सवाँरने के लिए खुद के साँसों की कुर्बानी की हद तक जाना ! संपूर्ण न्योछावर ! शैतान या तो मर जायेगा या प्यार की मुख्य धारा में बहकर अपना स्वरूप बदल देगा ! बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय ! बहुत खूब ।
काश के टूटे मिलते सड़कों पे लगे लैंप
काली हो जाती घनी धूप
आते जातों से नज़रें बचाकर
टांक देता जंगली गुलाब तेरे बालों में
वैसे मनाही तो नहीं तुम्हें चूमने की भी------क्या कहने हैं ! क्या कहने हैं ! मुहब्बत करने वालों के कल्पना के ताने बाने भी अजीब होते हैं ! लैंपों के टूटने की कल्पना और घनी धूप के काली हो जाने की कल्पना ! शायद आदर्श प्रेमी की कल्पना ! गुलाब टांक कर सौन्दर्य बढ़ाने की कल्पना ! सच पूछिए तो कल्पनाओं का ऐसा संसार जहाँ मनुष्य खो सा जाता है ! जंगली गुलाब के तो क्या कहने ! सौन्दर्यबोधीय उपस्थित ! खूबसूरत पंक्तियाँ आदरणीय ! बहुत खूब !
आदरणीय दिगम्बर सर हमेशा की तरह बहुत ही खूबसूरत रचना ! हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
आज जिस तरह से रचना का मूल्यांकन करते हैं वो उत्साह बहुत देर तक ताज़ा रहता है राजेश जी ... आपका बहुत बहुत आभार ...
हटाएंतितर-बितर यादों से ,प्रेम का खूबसूरत ताना बाना बुनती आपकी ये रचना लाज़बाब हैं ,बस लाज़बाब ,सादर नमन
जवाब देंहटाएंबहुत आ बार कामिनी जी ...
हटाएंसर आपकी लिखे गहन भाव की गूँज के आगे निःशब्द हूँ। सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार श्वेता जी ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 22 अप्रैल 2020 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत आभार पम्मी जी ...
हटाएंयही तो कशमकश है कि प्रेम है कि नहीं.
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आदरणीय आपका ...
हटाएंयही प्रेम है जनाब 😊
जवाब देंहटाएंजी ... शुक्रिया सुनीता जी ...
हटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय सर 👌
जवाब देंहटाएंआभार अनीता जी ...
हटाएंआपका अंदाज़े बयां जुदा है सर । हमेशा की तरह बहुत कमाल की बात ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार अजय जी आपका ...
हटाएंलाजवाब हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आदरणीय आपका ...
हटाएंवाह! बहुत खूबसूरत आपकी चित परिचित अनूठी शैली में।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार विश्वमोहन जी आपका ...
हटाएंप्रेम तो बस प्रेम करना जानता है, आगा-पीछा क्या सोचना, बस डूबकर एक दूजे मैं समां जाना ही जानता है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब प्रेम की अभिव्यक्ति
जी सच कहा आपने ... बहुत आभार ...
हटाएंआज कुछ अलग अंदाज में लिखा है , बहुत अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंआ बार रेखा जी ...
हटाएंअलग ही अंदाज !
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया संगीता जी ...
हटाएंवाह अनुपम सृजन
जवाब देंहटाएंThank you Sada ji ..
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया हिमकर जी ...
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका
हटाएंकाश के टूटे मिलते सड़कों पे लगे लैम्प
जवाब देंहटाएंकाली हो जाती घनी धूप
आते जातों से नज़रें बचा कर
टांक देता जंगली गुलाब तेरे बालों में
वैसे मनाही तो नहीं तुम्हें चूमने की भी.......बहुत सुन्दर
शुक्रिया योगी जी
हटाएंबहुत दिन बाद ब्लॉग जगत में प्रवेश हुआ वो भी प्रेम भाव में भीगी कविता पढ़ने का । हां यही तो प्रेम है !
जवाब देंहटाएंनमस्कार जी ...
हटाएंएक अरसे बाद आपको दुबारा देख कर बहुत अच्छा लग रहा है ... कहाँ हैं ... कैसे हैं ... घर में सब कैसे हैं ... बच्चे कैसे हैं ... समय निकाल के बताइयेगा ... और हाँ बहुत शुक्रिया ब्लॉग पर आने का ...
aap bahut hi aacha article likhte hai
जवाब देंहटाएंaap aise hi aur achhe article ko publish kare
me aapka har article jo Read karta hu
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बहुत शुक्रिया प्रशांत जी ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंकिस्मत वाले हैं जिन्होंने प्रेम नहीं किया
जंगली गुलाब के गुलाबी फूल उन्हें गुलाबी नज़र आते हैं
उतार नहीं पाता ठहरी हुयी शान्ति मन में
कि आती जाती साँसों का शोर
खलल न डाल दे तुम्हारी नींद में
तुम इसे प्यार समझोगी तो ये तुम्हारा पागलपन होगा
हर आदमी के अन्दर छुपा है शैतान
हक़ है उसे अपनी बात कहने का
तुमसे प्यार करने का भी
वाह बहुत ही सुंदर ,पूरी रचना लाजवाब ,सादर नमन
बहुत आभार ज्योति जी ...
हटाएंवाह....जंगली हुआ तो क्या हुआ. प्रेम सिक्त तो है। ..माँ जाने कैसे बरबस याद गई..... किस वृन्त पर खिले विपिन में पर नमस्य है फूल.....
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं आप ... प्रेम है इन्ही गुलाबों में ...
हटाएं...ना जाने। ....
जवाब देंहटाएंआभार सर ...
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