इंद्र-धनुष के सात रँगों में रँग नहीं होते ... रँग सूरज की
किरणों में भी नहीं होते और आकाश के नीलेपन में तो बिलकुल भी नहीं ... रँग होते
हैं तो देखने वाले की आँखों में जो जागते हैं प्रेम के एहसास से ...
दुनिया रंगीन दिखे
इसलिए तो नहीं भर लेते रँग आँखों में
उदास रातों की कुछ उदास यादें
आँसू बन के न उतरें
तो खुद-ब-खुद रंगीन हो जाती है दुनिया
दुनिया तब भी रंगीन होती है
जब हसीन लम्हों के द्रख्त
जड़ बनाने लगते हैं दिल की कोरी ज़मीन पर
क्योंकि उसके साए में उगे रंगीन सपने
जगमगाते हैं उम्र भर
सच पूछो तो दुनिया तब भी
रंगीन होती है
जब तेरे एहसास के कुछ कतरे लिए
फूल फूल डोलती हैं तितलियाँ
ओर उनके पीछे भागते कुछ मासूम बच्चे
रँग-बिरँगे कपड़ों में
पूजा की थाली लिए
गुलाबी साड़ी पे आसमानी शाल ओढ़े
तुम भी तो करती हो चहल-कदमी रोज़ मेरे ज़ेहन में
दुनिया इसलिए भी तो रंगीन होती है
दुनिया इसलिए भी रंगीन होती है
कि टांकती हो तुम जुड़े में जंगली गुलाब
#जंगली_गुलाब
लाजवाब सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया सुशील जी ...
हटाएंवाह!दिगंबर जी ,बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंदुनियाँ रंगीन दिखे ,इसीलिए तो नहीं भर लेते रंग आँखों में...
वाह.....!!
आभार है शुभा जी बहुत बहुत आपका ...
हटाएंवाह क्या जीवंत भाव पिरोये है सर।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना की अनूठी बुनावट बहुत खूबसूरत है।
बहुत आभार श्वेता जी ...
हटाएंवाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंशुक्रिया हिमकर जी ...
हटाएंमन्त्रमुग्ध करती भावाभिव्यक्ति...अत्यंत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार मीना जी ...
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28 -4 -2020 ) को " साधना भी होगी पूरी "(चर्चा अंक-3684) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत शुक्रिया कामिनी जी ...
हटाएंबढ़िया कविता
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया राजीव जी ... आपका आना भीनी खुशबू के झोंके सा है ...
हटाएंइस जंगली गुलाब का हुस्न तो आपके शब्दों से हमारे सामने इंद्रधनुष सा फैल गया है बहुत सुंदर पंक्तियां सर हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंआपकी नज़रों का भी कमाल है अजय जी इसमें ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
दुनिया इसलिए भी रंगीन होती है
जवाब देंहटाएंकि टांकती हो तुम जुड़े में जंगली गुलाब
सच है.....
बहुत आभार आपका आदरणीय संगीता जी ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंदुनिया तब भी रंगीन होती है
जब हसीन लम्हों के द्रख्त
जड़ बनाने लगते हैं दिल की कोरी ज़मीन पर
क्योंकि उसके साए में उगे रंगीन सपने
जगमगाते हैं उम्र भर
बहुत ही खूबसूरत रचना हमेशा की तरह ,दिगम्बर जी आप लोगो की पोस्ट मुझे नही दिखती ,इसी कारण से मुझे नई पोस्ट के बारे नही पता चलता है ,जब ब्लॉग शुरू किया था तब ये मुश्किलें नही रही ,जिसकी भी पोस्ट डलती रही मेरे ब्लॉग पर दिखाई देती रही ।,आप का बहुत बहुत शुक्रियां
बहुत आभार ज्योति जी ...
हटाएंअगर आप लिंक लगा लें ब्लॉग पर जिनको आप पढना चाहती हैं तो उनके लिंक दिखाई दे जाते हैं ...
वाकई रंग आँखों में होते है । मनःस्थिति के अनुसार दिखलाई देते हैं ।
जवाब देंहटाएंजी सच कह रही हैं आप ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
लाजवाब बेहतरीन साधु साधु
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका गिरीश जी ...
हटाएंउदास आँखों की उदासी छुपाते हुए आँखों में भरे रंग से दुनिया रंगीन दिखती है....देखने का नजरिया ही दिखाता है कैसी है दुनिया....
जवाब देंहटाएंसाथ में आपकी कल्पनाएं और कदाचित.... लेखन तो क्या पाठक के जेहन को भी जंगली गुलाब से महका देते हैं....
लाजवाब सृजन।
आपकी व्याख्या रचना को नया आयाम दे जाती है ... बहुत आभार आपका ...
हटाएंदुनिया रंगीन दिखे
जवाब देंहटाएंइसलिए तो नहीं भर लेते रँग आँखों में
उदास रातों की कुछ उदास यादें
आँसू बन के न उतरें
तो खुद-ब-खुद रंगीन हो जाती है दुनिया
दुनिया तब भी रंगीन होती है
जब हसीन लम्हों के द्रख्त
जड़ बनाने लगते हैं दिल की कोरी ज़मीन पर
क्योंकि उसके साए में उगे रंगीन सपने
जगमगाते हैं उम्र भर... निशब्द करता लाजवाब सृजन आदरणीय सर
बहुत आभार अनीता जी ...
हटाएंबहुत सुंदर. बहुत देर के बाद फिर खिला है जंगली गुलाब.
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आदरणीय ... आशा है आप ठीक होंगे ... स्वस्थ रहे ...
हटाएंसच प्रेम की जड़ें गहरी हो तो उसे कोई नहीं उखाड़ सकता
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जी सही कहा है आपने ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
दुनिया रंगीन दिखे
जवाब देंहटाएंइसलिए तो नहीं भर लेते रँग आँखों में
सच्चाई व्यक्त करती बहुत सुंदर रचना। क्योंकि वास्तव में दुनिया वैसी ही दिखती हैं जिन आंखों से हम जैसा देखना चाहते हैं।
जी सच कहा है आपने ... बहुत आभार ...
हटाएंभावनाओं के रोमानी रंग जब शब्दों में बिखरते हैं तो ऐसी कविताओं का सृजन हो ने लगता है.
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार ...
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंवाआआह क्या खूब कहा...
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया शाह नवाज़ जी ...
हटाएंपूजा की थाली लिए, गुलाबी साड़ी पे आसमानी शाल ओढ़े , तुम भी तो करती हो चहल-कदमी.............
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
बहुत शुक्रिया आदरणीय ...
हटाएंआँखों में प्रीत का उजाला हो, उदास कर देने वाली यादों का अँधेरा न हो, न हो आशंका के काले बादल, तो दुनिया वाकई रंगीन लगती है,बहुत खूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंह्रदय तल से आभार आपका ...
हटाएंजय हो भाई जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आपका ...
हटाएंखूबसूरत सकारात्मक अहसास दर्शाती, जगाती हुई रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत आभार सर ...
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंबहुत खूबसूरत कविता. कमाल है...
जवाब देंहटाएंदुनिया इसलिए भी रंगीन होती है
कि टांकती हो तुम जुड़े में जंगली गुलाब
आभार शबनम जी ...
हटाएंअसली बात जंगली गुलाब में ही है....सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंजी ... वो तो है ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
दुनिया इसलिए भी रंगीन होती है
जवाब देंहटाएंकि टांकती हो तुम जुड़े में जंगली गुलाब
मन की खूबसूरती भी चाहिए दुनियां को रंगीन रूप में देखने के लिए। सुन्दर और जीवंत शब्द
Bahut Shukriya apka ...
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