अध्-खुली नींद में रोज़ बुदबुदाता हूँ
एक तुम हो जो सुनती नहीं
हालांकि ये चाँद, सूरज ... ये भी नहीं सुनते
और हवा ...
इसने तो जैसे “इगनोरे” करने की ठान ली है
ठीक तुम्हारी तरह
धुंधले होते तारों के साथ
उठ जाती हो रोज मेरे पहलू से
कितनी बार तो कहा है
जमाने भर को रोशनी देना तुम्हारा काम नहीं
खिलता है कायनात में जगली गुलाब कहीं
उगता है रोज़ सूरज के नाम से
आकाश की बादल भरी ज़मीन पर
अरे सुनो ... कहीं तुम ही तो ...
इसलिए तो नहीं उठ जाती रोज़ मेरे पहलू से मेरे
... ?
#जंगली_गुलाब
इश्क में ही तो वह ताकत है जो जमाने भर को राह दिखाए, दिखाए ही नहीं उस पर चलने का हौसला भी दे, तो जो जंगली गुलाब हो वह फलक का आफताब भी हो इसमें हैरानी कैसी !
जवाब देंहटाएंबिलकुल वो ताकत है इश्क़ में ...
हटाएंआपका आभार ...
पूरी सृष्टि का सार ढाई अक्षर की असीम ताकत में समाया
जवाब देंहटाएंहै इसी भाव को प्रकट करती जंगली गुलाब की एक और नायाब कड़ी ।
बहुत शुक्रिया आपका ...
हटाएंखिलता है कायनात में जगली गुलाब कहीं
जवाब देंहटाएंउगता है रोज़ सूरज के नाम से
आकाश की बादल भरी ज़मीन पर
बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति
बहुत शुक्रिया आपका सरिता जी ...
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -5 -2020 ) को "कहो मुबारक ईद" (चर्चा अंक 3713) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत आभार आपका ...
हटाएंअच्छी भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आदरणीय ...
हटाएंप्रेमाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ...
हटाएंसुनना कहाँ है :) लाजवाब।
जवाब देंहटाएंखोज रहा हूँ अभी तक ... बहुत शुक्रिया ...
हटाएंवाह बहुत ख़ूब 🌹🌹
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ...
हटाएंवाह.. अद्भुत... बहुत सुंदर प्रेमाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 26 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
शुक्रिया रविन्द्र जी ...
हटाएंधुंधले होते तारों के साथ
जवाब देंहटाएंउठ जाती हो रोज मेरे पहलू से
कितनी बार तो कहा है
जमाने भर को रोशनी देना तुम्हारा काम नहीं.....
वाह ! वाह ! कितना खूबसूरत खयाल है, कितना प्यारा उलाहना है।
जी बहुत शुक्रिया आपका ...
हटाएंबहुत खूबसूरत खयाल बहती हुई सी...इसलिए तो नहीं उठ जाती रोज़ मेरे पहलू से मेरे..
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंआदरणीय नसवा जी, आपके जंगली गुलाब की चाहत हमें अवश्य ही पागल कर देगी। हर बार पढता हूँ और हर बार ईश्क कर बैठता हूँ । कहीं आपको जलन तो नहीं हुई न?
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
हा हा ... ये जंगली गुलाब हर किसी का अपना ही होता है ...
हटाएंप्रेम पगा सवाल
जवाब देंहटाएंजी बहुत अहुक्रिया ...
हटाएंगुलाबी इश्क़
जवाब देंहटाएंजी सही है ... बहुत आभार ...
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंसब रंग प्रेम मे एक से लगते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जी सच कहा है ... बहुत आभार ...
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ...
हटाएंखिलता है कायनात में जगली गुलाब कहीं
जवाब देंहटाएंउगता है रोज़ सूरज के नाम से
आकाश की बादल भरी ज़मीन पर
वाह!!!!
बहुत ही लाजवाब हमेशा की तरह...
जंगली गुलाब के रहस्य के साथ।
बहुत शुक्रिता आपका ...
हटाएंदिगंबर नासवा जी
जवाब देंहटाएंसादर नमस्ते
अध्-खुली नींद में रोज़ बुदबुदाता हूँ
एक तुम हो जो सुनती नहीं
जंगली गुलाब की ये खासियत है इक बार जिस ज़मीन में जड़ें पसार के फिर अच्छे से फ़ैल जाता है और फिर गहरे गुलाबी फूलों और अपनी सुगंध से सराबोर का देता है
आपकी कलम पर आजकल जंगली गुलाब ने कब्ज़ा कर लिया है और क्या खूब रंग बिखेर रहा हैं
गहरी गुलाबी रचना
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जनो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे।
बहुत आभार ज़ोया जी ....
जवाब देंहटाएंआप भी अपना ख्याल रहे कोविड १९ से बचाव करें ...
प्यार से परिपूर्ण बहुत ही सुंदर रचना, दिगंबर भाई।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ज्योति जी ...
हटाएंवाह !बहुत ही खूबसूरत एहसास सजोया है आपने आदरणीय सर.
जवाब देंहटाएंसादर
आभार अनीता जी ...
हटाएंवाह , कितनी कोमल ,स्नेहिल और उदार दृष्टि है . शब्द नहीं इसके लिये ..
जवाब देंहटाएंआभार आपका गिरिजा जी ...
हटाएंअति उत्तम ,संवेदनशील प्यारी रचना,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ज्योति जी ...
हटाएंकिसी की ऐसी ही सघन मौजूदगी ही है जो हमें थामे रहता है ।
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया ...
हटाएंऔर हवा ...
जवाब देंहटाएंइसने तो जैसे “इगनोरे” करने की ठान ली है
ये कैसे संभव है. कैफ़ी साब ने कहा है -
चाँद सूरज बुजुर्गों के नक़्शे कदम
खैर बुझने दो इनको हवा तो चले
मनमानी भी तो करती है हवा अपनी ... अच्छा विस्तार देती है आपकी बात रचना को ..
हटाएंबहुत आभार आपका ...
खिलता है कायनात में जगली गुलाब कहीं
जवाब देंहटाएंउगता है रोज़ सूरज के नाम से
आकाश की बादल भरी ज़मीन पर
प्रशंसनीय। कल्पना शक्ति को सौ सौ परनाम
बहुत शुक्रिया योगी जी ...
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