किसी की आँखों में झाँकना
उसके दर्द को खींच निकालना नहीं होता
ना ही होता है उसके मन की बात
लफ्ज़-दर-लफ्ज़ पढ़ना
उसकी गहरी नीली आँखों में
प्रेम ढूँढना तो बिलकुल भी नहीं होता
हाँ ... होते हैं कुछ अधूरे सपने उन आँखों में
देखना चाहता हूँ जिन्हें
समेटना चाहता हूँ जिनको
करना चाहता हूँ दुआ जिनके पूरे होने की
सपनों का टूट जाना
ज़िन्दगी के छिज जाने से कम नहीं ...
समेटन चाहता हूँ साँस लेती पँखुरी-पँखुरी
चाहता हूँ खिल उठे जंगली गुलाब ...
#जंगली_गुलाब
सपनों का टूट जाना
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के छिज जाने से कम नहीं ...बहुत सही!!!
बहुत आभार आपका विश्वमोहन जी ... 🙏🙏
हटाएंये कातिल जंंगली गुलाब कुछ कर बैठेंगे किसी दिन :) लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया सर ...
हटाएंबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएंआभार श्वेता जी
हटाएंशुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सर बहुत बहुत आपका ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंकिसी की आँखों में झाँकना
उसके दर्द को खींच निकालना नहीं होता....
सच में !!!
बहुत आभार आदरणीय मीना जी ... 🙏🙏🙏
हटाएंसच बिना सपनों के जिंदगी -जिंदगी नहीं रहती, ये अलग बात है कि हर सपना साकार हो, लेकिन यह सोच चुप बैठना कम दु:खदायी नहीं है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
सच कहा है
हटाएंबहुत आभार आदरणीय कविता जी ... 🙏🙏🙏
किसी के सपनों को पूरा होते हुए देखने की चाहत बहुत नेक है, किसी के दुःख मिटाना संभव नहीं, हर एक को अपना दुःख स्वयं ही मिटाना होता है
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल ...
हटाएंबहुत आभार आदरणीय अनीता जी ... 🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंअच्छी कामना है।
हटाएंबहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी ... 🙏🙏🙏
वाह!लाजवाब सृजन आदरणीय सर.
जवाब देंहटाएंसादर
हटाएंबहुत आभार आदरणीय अनीता जी ... 🙏🙏🙏
लाजवाब 💐
जवाब देंहटाएं
हटाएंबहुत आभार आपका मुकेश जी ... 🙏🙏
वाह, बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंसमेटन चाहता हूँ साँस लेती पँखुरी-पँखुरी
चाहता हूँ खिल उठे जंगली गुलाब ...
बहुत शुक्रिया शबनम की ...
हटाएंसपनों का टूट जाना
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के छिज जाने से कम नहीं ...
समेटन चाहता हूँ साँस लेती पँखुरी-पँखुरी
चाहता हूँ खिल उठे जंगली गुलाब ...
खुबसूरत रचना
बहुत आभार आपका ...
हटाएंबेहतरीन
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हटाएंबहुत आभार आपका राजा साहब ... 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसपनों का टूट जाना
ज़िन्दगी के छिज जाने से कम नहीं ...
क्या बात है ,बहुत ही सुंदर रचना और सत्य भी
शुक्रिया ज्योति जी 🙏🙏🙏
हटाएंसपनों का टूट जाना
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के छिज जाने से कम नहीं ...
इन दो पंक्तिओं में पूरी कविता समाई है .....वाह
वंदना जी 🙏🙏🙏
हटाएंबहुत सुदर भावाभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंअबट आभार आपका
हटाएंसमेटन चाहता हूँ साँस लेती पँखुरी-पँखुरी
जवाब देंहटाएंचाहता हूँ खिल उठे जंगली गुलाब ...
सुन्दर अभिव्यक्ति !
शुक्रिया संगीता जी ..
हटाएंहाँ ... होते हैं कुछ अधूरे सपने उन आँखों में
जवाब देंहटाएंदेखना चाहता हूँ जिन्हें
समेटना चाहता हूँ जिनको
करना चाहता हूँ दुआ जिनके पूरे होने की..
बहुत खूब !! स्वप्निल संसार अपने आप अद्भुत होता है ।खूबसूरत अभिव्यक्ति ।
जी सच कहा है
हटाएंबहुत आभार आपका ...
चाहता हूँ खिल उठे जंगली गुलाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
जी शुक्रिया ज़ोया जी ...
हटाएंbahut sundar.
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
हटाएंसपने के बिना खिलेगा कैसे अपना प्यारा जंगली गुलाब...होनी ही चाहिए साँस लेती पंखुड़ियों को समेटने की कोशिशें और बनी रहनी चाहिए इनमें मधुर सपने देखने की चाहते.... तभी तो खुशबू से महकता है जंगली गुलाब और ब्लॉग स्वप्न मेरे...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब सृजन।
बहुत आभार आदरणीय सुधा जी ...
हटाएं🙏🙏🙏
केसरिया रंग में रंगा सपना छन छन कर अंग सहरा रहा है ।
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका ... बहुत आभार
हटाएंना ही होता है उसके मन की बात
जवाब देंहटाएंलफ्ज़-दर-लफ्ज़ पढ़ना
लाजवाब सृजन
हटाएंबहुत आभार आपका आदरणीय 🙏🙏
सपनों का टूट जाना
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के छिज जाने से कम नहीं ...
बहुत खूबसूरत...👌👌
शुक्रिया जी ...
हटाएंकिसी की आँखों के सपने तलाशना और उन्हें पूरा करने की चाह रखना ,गुलाब खिलाने की लालसा ..यह सब किसी के दर्द को खींच लेने और प्रेम तलाशने का ही तो दूसरा नाम है . क्या लिख देते हैं आप भी ...
जवाब देंहटाएंआपका आभार है आदरणीय ...
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंThanks Vimal ji ...
हटाएंसपने तो प्रेम की परीक्षा लेते हैं. टूटने भला कैसे देंगे।
जवाब देंहटाएंशै कहा है आपनी ...
हटाएंबहुत आभार ...
सपनों का टूट जाना
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी के छिज जाने से कम नहीं ...बहुत ही गहरी बात लिखी है आपने
बहुत शुक्रिया योगी जी ...
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