शबनम से लिपटी घास पर
नज़र आते हैं कुछ क़दमों के निशान
सरसरा कर गुज़र जाता है झोंका
जैसे गुजरी हो तुम छू कर मुझे
हर फूल देता है खुशबू जंगली गुलाब की
खुरदरी हथेलियों की चिपचिपाहट
महसूस कराती है तेरी हाथों की तपिश
उड़ते हुए धुल के अंधड़ में
दिखता मिटता है तेरा अक्स अकसर
जानता हूँ तुम नहीं हो आस-पास कहीं
पर कैसे कह दूँ की तुम दूर हो ...
#जंगली_गुलाब
वाह जंगली गुलाब और खुश्बू ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया सुशिल जी ...
हटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया ...
हटाएंबहुत सुन्दर और सारगर्भित
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंखूबसूरत रचना 👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनुराधा जी ...
हटाएंखूबसूरत एहसास भरी सुंदर अभिव्यक्ति सर।
जवाब देंहटाएं-----
जी शुक्रिया ...
हटाएं
जवाब देंहटाएंखुरदरी हथेलियों की चिपचिपाहट
महसूस कराती है तेरी हाथों की तपिश
उड़ते हुए धुल के अंधड़ में
दिखता मिटता है तेरा अक्स अकसर
जानता हूँ तुम नहीं हो आस-पास कहीं
पर कैसे कह दूँ की तुम दूर हो ...
कमाल की खूबसूरत रचना
बहुत आभार ज्योति जी ...
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वंदना जी ...
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंजंगली गुलाब के सुन्दर एहसास।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शबनम जी ...
हटाएंजंगली गुलाब इस बार बहार से पतझड़ तक खिलता आ रहा है और क्या खूब खिल रहा है। लगता है इसकी महक ने आपकी कलम को अपनी ख़ुशबू से सराबोर कर दिया हैं और उसकी ख़ुशबू आपकी लेखनी से हम तक खूब आ रही हैं
जवाब देंहटाएंयुहीं मेहको जंगली गुलाब
खूबसूरत रचना
आप रचना को बाखूबी विस्तार देती हैं ...
हटाएंगुलाब कहीं भी खिले महक बिखेरता ही है
जवाब देंहटाएंसच कहा है आपने ...
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (17-06-2020) को "उलझा माँझा" (चर्चा अंक-3735) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
बहुत आभार शास्त्री जी ...
हटाएंकैसे कहदूँ कि तुम दूर हो ..खूबसूरत एहसास . उतनी ही खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंउड़ते हुए धुल के अंधड़ में
जवाब देंहटाएंदिखता मिटता है तेरा अक्स अकसर
शानदार
आभार जी ...
हटाएंजंगली गुलाब की भीनी महक खूब फैलती है आपके लेखनी से
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और लाजवाब सृजन .
शुक्रिया मीना जी ...
हटाएंकोमल अहसासों से बुनी रचना ! जो नहीं है जब वह भी दीखता है तो गुलाब की गंध दूर तक फ़ैल जाती है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी ...
हटाएंजो दिल में रहता है वो दूर जाता ही नहीं
जवाब देंहटाएंसही हैं आप बिलकुल राजा जी ... बहुत आभार आपका ...
हटाएंजानता हूँ तुम नहीं हो आस-पास कहीं
जवाब देंहटाएंपर कैसे कह दूँ की तुम दूर हो ...
बहुत ही खूबसूरत रचना........गुलाब की महक सी फैलती है आपकी लेखनी
Thanks Sanjay ji ...
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जवाब देंहटाएंउड़ते हुए धुल के अंधड़ में
दिखता मिटता है तेरा अक्स अकसर
खुबसूरत रचना
बहुत शुक्रिया ...
हटाएंउड़ते हुए धुल के अंधड़ में
जवाब देंहटाएंदिखता मिटता है तेरा अक्स अकसर
वाह!!!
बेहद खूबसूरत ...।
बहुत आभार सुधा जी ...
हटाएंभावमयी पंक्तियों से सुसज्जित बेहद सुन्दर सृजन आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ...
हटाएंबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे
जवाब देंहटाएंBest Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
बहुत शुक्रिया ...
हटाएंसुंदर एहसासों से सजी बढ़िया रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंवाह क्या सुंदर लिखावट है सुंदर मैं अभी इस ब्लॉग को Bookmark कर रहा हूँ ,ताकि आगे भी आपकी कविता पढता रहूँ ,धन्यवाद आपका !!
जवाब देंहटाएंAppsguruji (आप सभी के लिए बेहतरीन आर्टिकल संग्रह) Navin Bhardwaj
बहुत शुक्रिया ...
हटाएंखुरदरी हथेलियों की चिपचिपाहट
जवाब देंहटाएंमहसूस कराती है तेरी हाथों की तपिश ...अदभुत ! शब्द संयोजन बहुत ही शानदार !! एक राज की बात बताता हूँ आपको .. मैं आपकी रचना तीन चार बार पढ़ता हूँ फिर सोचता हूँ मैं इन शब्दों पर कुछ कहने लायक हूँ भी !!
आपका स्नेहिल टच अनद भर देता है योगी जी ...
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