ज़िन्दगी में हैं
कई लोग आग हों जैसे
हर अँधेरे में सुलगते
हैं जुगनुओं जैसे
सोच लेता हूँ कई बार बादलों जैसे
भीग लेने दूं किसी छत को बारिशों जैसे
बैठे बैठे भी कई
बार चौंक जाता हूँ
दिल में रहते हैं
कई लोग हादसों जैसे
हम सफ़र बन के
मेरे साथ वो नहीं तो क्या
मील दर मील खड़े
हैं वो पत्थरों जैसे
दिल के गहरे में
कई दर्द रोज़ उठते हैं
भूल जाता हूँ में
हर बार मुश्किलों जैसे
लोग ऐसे भी मेरी
ज़िन्दगी में आए हैं
खिलते रहते हैं
हमेशा जो तितलियों जैसे
सरसरी सी ही नज़र
डालना कभी हम पर
हमको पढ़ते हैं कई
लोग सुर्ख़ियों जैसे
वाह ! बहुत सुंदर, शायद आग जैसे लोग ही बादलों सा बरसना सिखाते हैं, हादसों जैसे लोग दर्द को भूलना ... और तितलियों जैसे लोग ही सुर्खियाँ बनने का हौसला भरते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत आभार अनीता जी ...
हटाएंBahut khub.
हटाएंआभार इंदू जी ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंलोग ऐसे भी मेरी ज़िन्दगी में आए हैं
जवाब देंहटाएंखिलते रहते हैं हमेशा जो तितलियों जैसे
सरसरी सी ही नज़र डालना कभी हम पर
हमको पढ़ते हैं कई लोग सुर्ख़ियों जैसे
लाजवाब ... सदा की तरह अत्यंत सुन्दर सृजन ।
बहुत शुक्रिया मीना जी ...
हटाएंलाजवाब हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया सुशील जी ...
हटाएंउम्दा ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अशआर।।
आभार शास्त्री जी ...
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -7 -2020 ) को शब्द ही शिव हैं( चर्चा अंक 3769) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
आभार कामिनी जी ...
हटाएंबहुत सुंदर सृजन, दिगंबर भाई।
जवाब देंहटाएंआभार ज्योति जी ...
हटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी ...
हटाएंवाह ! बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंआभार आपका ...
हटाएंदिल में रहते हैं कई लोग हादसों जैसे ...बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंसरसरी सी ही नज़र डालना कभी हम पर हमको पढ़ते हैं कई लोग सुर्ख़ियों जैसे...वाह!बेहतर सर।
जवाब देंहटाएंआभार अनीता जी ...
हटाएंलोग ऐसे भी मेरी ज़िन्दगी में आए हैं
जवाब देंहटाएंखिलते रहते हैं हमेशा जो तितलियों जैसे
वाह!!!!
बहुत ही लाजवाब।
आभार सुधा जी ...
हटाएंवाह!दिगंबर जी ,क्या बात है !!बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंपढते हैं कई लोग सुर्खियों जैसे ..वाह!!
आभार शुभा जी ...
हटाएंउम्दा !
जवाब देंहटाएंआभार गगन जी ...
हटाएंलाजवाब लिखा !
जवाब देंहटाएंरेखा श्रीवास्तव
शुक्रिया रेखा जी ...
हटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार सर ...
हटाएंदिल में रहते हैं कई लोग हादसों जैसे
जवाब देंहटाएंवाह-वाह
शुक्रिया आपका ...
हटाएंसरसरी सी ही नज़र डालना कभी हम पर
जवाब देंहटाएंहमको पढ़ते हैं कई लोग सुर्ख़ियों जैसे
... यूँ ही नहीं कोई सुर्ख़ियों में रहता है, बहुत संघर्ष छुपा रहता है उसके गर्त में
बहुत खूब!
बहुत आभार ज्योति जी ...
हटाएंसर बहुत ही उम्दा और अर्थपूर्ण रचना है।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार भारती जी ...
हटाएं......
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत आभार 🙏🙏
हटाएंशानदार बस शानदार एक से बढ़कर एक असरार।
जवाब देंहटाएंउम्दा/बेहतरीन
बहुत आभार आपका ...
हटाएंवाह...सुंदर!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पवन जी ...
हटाएंभई वाह...बहुत सुंदर गजल. मान गए.
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका भारत भूषन जी ...
हटाएंबहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंअंतिम शेर बहुत कमाल। दाद स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंसरसरी सी ही नज़र डालना कभी हम पर
जवाब देंहटाएंहमको पढ़ते हैं कई लोग सुर्ख़ियों जैसे.. वाह अद्भुत लेखन
आभार अनुराधा जी ...
हटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंवाह बहुत ही उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत आभार सदा जी ...
हटाएंदिल के गहरे में कई दर्द रोज़ उठते हैं
जवाब देंहटाएंभूल जाता हूँ में हर बार मुश्किलों जैसे,,,,,,,,,,बहुत ख़ूबसूरत ।
बहुत आभार आपका ...
हटाएंलोग ऐसे भी मेरी ज़िन्दगी में आए हैं
जवाब देंहटाएंखिलते रहते हैं हमेशा जो तितलियों जैसे....बस इन्हीं लोगों को बनाये रखिये जो जिंदगी में मिठास लाते रहते हैं !!
जी सच कहा है आपने ...
हटाएंबहुत आभार ...