वो जो कड़वी ज़ुबान होते हैं,
एक तन्हा मचान होते हैं.
चुप ही रहने में है समझदारी,
कुछ किवाड़ों में कान होते हैं.
एक दो, तीन चार, बस भी करो,
लोग चूने का पान होते हैं.
उम्र है
लोन, सूद हैं सासें,
अन्न-दाता, किसान होते हैं.
गोलियाँ,
गालियाँ, खड़े तन कर,
फौज के ही जवान होते हैं.
एक टूटी सी तान होते हैं.
हाथ खेतों की धान होते हैं.
जो नहीं हैं रियाज़ के आदी
जवाब देंहटाएंएक टूटी सी तान होते हैं
बहुत ख़ूब।
बहुत दिनों बाद आपको देखा ब्लॉग पर ...
हटाएंअच्छा लगा ... आपका आभार यहाँ तक आने का ...
वो जो कड़वी ज़ुबान होते हैं,
जवाब देंहटाएंएक तन्हा मचान होते हैं.
वाह !! लाजवाब सृजन.
बहुती शुक्रिया मीना जी ...
हटाएंवो जो कड़वी ज़ुबान होते हैं,
जवाब देंहटाएंएक तन्हा मचान होते हैं.......
आदरणीय नसवा जी, आपकी रचनाओं का मिजाज ही अलग होता है, न जाने किधर बहा ले जाता है हमें। बिल्कुल आत्मविभोर होकर मुक्तश्वास पढता ही चला जाता हूँ । एक ताजगी है जिसके अनछुए एहसास में बंध सा जाता हूँ ।
बस, ऐसे ही आत्मविभोर करते रहें हमें।
शुभकामनाएँ .....
बहुत आभारी हूँ आदरणीय ...
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-08-2020) को "श्री कृष्ण जन्माष्टमी-आ जाओ गोपाल" (चर्चा अंक-3791) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
योगिराज श्री कृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
बहुत शुक्रिया शास्त्री जी ...
हटाएंउम्र है लोन, सूद हैं सासें,
जवाब देंहटाएंअन्न-दाता, किसान होते हैं.
वाह !!लाज़बाब सृजन ,सादर नमस्कार
आभार कामिनी जी ...
हटाएंउम्र है लोन, सूद हैं सासें,
जवाब देंहटाएंअन्न-दाता, किसान होते हैं.
गोलियाँ, गालियाँ, खड़े तन कर,
फौज के ही जवान होते हैं.
जय जवान जय किसान...
हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब सृजन
वाह!!!
बहुत आभार सुधा जी ...
हटाएंबहुत उम्दा पंक्तियां दिगंबर जी
जवाब देंहटाएंबहुत आभात्र आपका ...
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनुराधा जी ...
हटाएंउम्र है लोन, सूद हैं सासें,
जवाब देंहटाएंअन्न-दाता, किसान होते हैं.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ज्योति जी आभार ...
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंजो नहीं हैं रियाज़ के आदी,
एक टूटी सी तान होते हैं.
जीवन के विविध रंग-रूप का दर्शन कराती सुंदर रचना ...
आभार अनीता जी आपका ...
हटाएंशानदार रचना । मेरे ब्लॉग पर आप का स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंआभार मनोज जी ...
हटाएंवाह!सराहना से परे ..
जवाब देंहटाएंलाजवाब 👌
आभार अनीता जी ...
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंहाथ खेतों की धान होते हैं...शानदार रचना
जवाब देंहटाएंआभार संध्या जी ...
हटाएंवो जो कड़वी ज़ुबान होते हैं,
जवाब देंहटाएंएक तन्हा मचान होते हैं.,,,,,,,,,सच बात है सच बोलने के बाद इंसान तनहा ही रह जाता है बहुत ही बेहतरीन रचना ।
जी ... बहुत शुक्रिया आपका ...
हटाएंएक से बढ़ कर एक - गागर में सागर जैसे .
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ...
बहुत उम्दा और भावपूर्ण। दाद स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ...
कृपया इस लिंक पर अवश्य पधारे इसमें आप भी शामिल हैं -
जवाब देंहटाएंhttps://ghazalyatra.blogspot.com/2020/08/blog-post_14.html?m=0
बहुत आभार आपका ...
हटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ...
बेहतरीन रचना । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ...
हटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ...
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया ...
हटाएंलाजवाब :)
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ...
हटाएंबहुत ख़ूबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका
हटाएंHi Dear
जवाब देंहटाएंThanks for sharing this premium knowledge for free of cost thanks
thanks
dude
आभार आपका ...
हटाएंउम्र है लोन, सूद हैं सासें,
जवाब देंहटाएंअन्न-दाता, किसान होते हैं.
गोलियाँ, गालियाँ, खड़े तन कर,
फौज के ही जवान होते हैं.
जवान और किसान दोनों के लिए बहुत कुछ लिख दिया आपने दिगम्बर जी | इतने सालों से ग़ज़ल लिखते हुए कहीं भी बोझिलता नहीं अनुभव होती पाठकों को | हर शेर की अपनी दास्तान है | भावपूर्ण रचना के लिए आभार और बधाई |
बहुत दिनों बाद आपको देख के अच्छा लगा ब्लॉग पर ... आपकी thoughtful टिप्पणी हमेशा प्रेरित करती हैं ... बहुत आभार आपका ...
हटाएंHi dear
जवाब देंहटाएंthanks for sharing this premium knownledge free of cost
Thanks
DUDE
hi dear
जवाब देंहटाएंthanks for sharing this premium knownledge free of cost
Thanks DUDE
Thanks DUDE
उम्र है लोन, सूद हैं सासें,
जवाब देंहटाएंअन्न-दाता, किसान होते हैं.
वाह क्या बात है.
Thanks Dude for sharing me
जवाब देंहटाएंएक दो, तीन चार, बस भी करो,
जवाब देंहटाएंलोग चूने का पान होते हैं...लोग चूने का पान होते हैं ? मतलब चूना लगा के चमकने वाले हाहाहा .....बेहतरीन शब्द लिखे हैं सर