उफ़ शराब का क्या होगा ...
सच के ख्वाब का क्या होगा
इन्कलाब का क्या होगा
आसमान जो ले आये
आफताब का क्या होगा
तुम जो रात में निकले हो
माहताब का क्या होगा
इस निजाम में सब अंधे
इस किताब का क्या होगा
मौत द्वार पर आ बैठी
अब हिसाब का क्या होगा
साथ छोड़ दें गर कांटे
फिर गुलाब का क्या होगा
है सरूर
इन आँखों में
उफ़ शराब
का क्या होगा
है सरूर इन आँखों में
जवाब देंहटाएंउफ़ शराब का क्या होगा
कत्ल कर दिया :) लाजवाब।
लाजवाब शायरी. दाद स्वीकारें.
जवाब देंहटाएं"मौत द्वार पर आ बैठी
जवाब देंहटाएंअब हिसाब का क्या होगा"
बहुत खूब,हमेशा की तरह लाज़बाब,सादर नमन आपको
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 08 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है............ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंइस निजाम में सब अंधे
इस किताब का क्या होगा
मौत द्वार पर आ बैठी
अब हिसाब का क्या होगा
सामयिक सटीक चित्रण
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-09-2020) को "दास्तान ए लेखनी " (चर्चा अंक-3819) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
इस निजाम में सब अंधे
जवाब देंहटाएंइस किताब का क्या होगा
वाह!!!
मौत द्वार पर आ बैठी
अब हिसाब का क्या होगा
बहुत ही लाजवाब सृजन हमेशा की तरह....।
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब नासवा जी हर शेर सीधा अंतर तक उतरता ।
जवाब देंहटाएंसहज सरल सटीक।
दिलचस्प शेर .... बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंवाह !बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंइस निजाम में सब अंधे
इस किताब का क्या होगा
आदरणीय दिगंबर नासवा जी, नमस्ते! बहुत सुंदर गजल, सुंदर शेर! क्या बात है:
जवाब देंहटाएंहै सरूर इन आँखों में
उफ़ शराब का क्या होगा। साधुवाद!
मैंने आपका ब्लॉग अपने रीडिंग लिस्ट में डाल दिया है। कृपया मेरे ब्लॉग "marmagyanet.blogspot.com" अवश्य विजिट करें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत कराएं।
आप अमेज़ॉन किंडल के इस लिंक पर जाकर मेरे कविता संग्रह "कौंध" को डाउनलोड कर पढ़ें।
https://amzn.to/2KdRnSP
आप मेरे यूट्यूब चैनल के इस लिंक पर मेरी कविता का पाठ मेरी आवाज में सुनें। मेरे चैनल को सब्सक्राइब करें, यह बिल्कुल फ्री है।
https://youtu.be/Q2FH1E7SLYc
इस लिंक पर कहानी "तुम्हारे झूठ से मुझे प्यार है" का पाठ सुनें: https://youtu.be/7J3d_lg8PME
सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ
मैंने आपकेेकविता संग्रह को पढ़ा है ''कौध''...जहां प्रकृति और पर्यावरण के सन्दर्भ - बूंदों की यात्रा से लेकर मैदानी इलाकों में नदी के प्रवाह के रूप में जल संचय और जल सिंचन करती हुयी बही जा रही है। बहुत खूूूब
हटाएंगागर में सागर जैसी भावाभिव्यक्ति ..लाज़वाब ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय!
जवाब देंहटाएंनमस्कार नासवा जी ...क्या खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंइस निजाम में सब अंधे
इस किताब का क्या होगा
मौत द्वार पर आ बैठी
अब हिसाब का क्या होगा...बहुत खूब
नमस्कार भाई जी
जवाब देंहटाएंसच का बयान करती कमाल की ग़ज़ल
वाह
बधाई
बात तो सादा है लेकिन चौंका गई. ये चार पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं-
जवाब देंहटाएंसाथ छोड़ दें गर कांटे
फिर गुलाब का क्या होगा
है सरूर इन आँखों में
उफ़ शराब का क्या होगा
हमेशा की तरह से लाजवाब
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌺🙏
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी इस लिंक पर पधार कर मुझे अनुगृहीत करें...
http://ghazalyatra.blogspot.com/2020/09/2020.html?m=1
वही लहजा है आपके लफ़्जों में
जवाब देंहटाएंक्या मौज बहा दी है ...
साथ छोड़ दें गर कांटे
जवाब देंहटाएंफिर गुलाब का क्या होगा...क्या बात है !! जबरदस्त