सोमवार, 23 नवंबर 2020
जगमग बुलंदियों पे ही ठहरे नहीं हैं हम ...
बहला रहे हो झूठ से पगले नहीं हैं हम.
मंगलवार, 10 नवंबर 2020
जो कायरों से मरोगे तो कुछ नहीं होगा ...
गुलाम बन के रहोगे तो कुछ नहीं होगा
निज़ाम से जो डरोगे तो कुछ नहीं होगा
तमाम शहर के जुगनू हैं कैद में
उनकी
चराग़ छीन भी लोगे तो कुछ नहीं होगा
समूचा तंत्र है बहरा, सभी
हैं जन गूंगे
जो आफताब भी होगे तो कुछ नहीं होगा
बदल सको तो बदल दो जहाँ की तुम किस्मत
जो भीड़ बन के चलोगे तो कुछ नहीं
होगा
कलम के साथ ज़रूरी है सबकी सहभागी
नहीं जो
मिल के लड़ोगे तो कुछ नहीं होगा
जो मौत
आ ही गयी मरना मार कर दुश्मन
जो कायरों से मरोगे तो कुछ नहीं होगा
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