सुर्ख होठों पे आग़ सी ना हो ...
गम न हो गम ख़ुशी
ख़ुशी ना हो.
रब करे ऐसी ज़िन्दगी
ना हो.
रेत पर लिख दिया
तुझे उस दिन,
ख्वाहिशों की वहाँ
नदी ना हो.
चुप से आँसू हँसी में क्यों छलके,
मुसकराहट ये
खोखली ना हो.
नींद कमबख्त दूर
है बैठी,
रात पहलू में
जागती ना हो.
खुशबुओं से महक
उठा मौसम,
तू कहीं पास ही
खड़ी ना हो.
कितने सपने हैं बन्द
बस्तों में,
परवरिश में कहीं
कमी ना हो.
लफ्ज़ दर लफ्ज़ जल
गया लम्हा,
सुर्ख होठों पे आग़
सी ना हो.
चुप से आँसू हँसी में क्यों छलके,
जवाब देंहटाएंमुसकराहट ये खोखली ना हो.
वाह , हर शेर अलग अंदाज में । बहुत खूब ।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १९ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत सुंदर प्रेरणादायक भावों के साथ सुंदर अस्आर
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंशब्द-शब्द शहद..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंचुप से आँसू हँसी में क्यों छलके,
जवाब देंहटाएंमुसकराहट ये खोखली ना हो. बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीय।
बढ़िया ग़ज़ल उम्दा अशआर।
जवाब देंहटाएंखुशबुओं से महक उठा मौसम,
जवाब देंहटाएंतू कहीं पास ही खड़ी ना हो.
कितने सपने हैं बन्द बस्तों में,
परवरिश में कहीं कमी ना हो.
बहुत ख़ूबसूरत....
नाज़ुक से शेर
बहुत ही नरम नरम भावों वाली ग़ज़ल. बहुत ख़ूब.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कामनाओं से भरी लाजवाब ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएंकुछ समझ नहीं आ रहा इस गजल की कैसे और किन शब्दों में समीक्षा करूं । हर शेर वजनदार है ।मन को भीतर तक छू ता है । बधाई , हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गजल।
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंकितने सपने हैं बन्द बस्तों में,
परवरिश में कहीं कमी ना हो.
एक से बढ़कर एक हैं सभी शेर !
वाह बेहद शानदार
जवाब देंहटाएंचुप से आँसू हँसी में क्यों छलके,
जवाब देंहटाएंमुसकराहट ये खोखली ना हो.
वाह !! बहुत खूब,एक-एक शेर लाज़बाब,सादर नमन आपको
वाह!बहुत सुंदर सृजन हमेशा की तरह।
जवाब देंहटाएंसादर
कितने सपने हैं बन्द बस्तों में,
जवाब देंहटाएंपरवरिश में कहीं कमी ना हो.
लफ्ज़ दर लफ्ज़ जल गया लम्हा,
सुर्ख होठों पे आग़ सी ना हो.
एक ही स्वर में बहुत कुछ कह जाते हैं आप गजल में सरपट
बहुत सुन्दर
कितने सपने हैं बन्द बस्तों में,
जवाब देंहटाएंपरवरिश में कहीं कमी ना हो.
बहुत खूब दिगंबर आपकी कल्पना के घोड़ों को सलाम जो ना जाने किन शिखरों को स्पर्श कर आते हैं। सादर शुभकामनाएं 🙏🙏
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंगम न हो गम ख़ुशी ख़ुशी ना हो.
जवाब देंहटाएंरब करे ऐसी ज़िन्दगी ना हो.',,,,,,,,,,,सच बात है वरना ज़िंदगी बेज़ार हो जाती है ।बहुत ख़ूबसूरत है सभी लाईने ।
खुशबुओं से महक उठा मौसम,
जवाब देंहटाएंतू कहीं पास ही खड़ी ना हो.
गज़ब ! ऐसे ग़ज़ल लिखने वाले हों तो ग़ज़ल बहुत ही पठनीय और कर्णप्रिय बन जाती है !! साधुवाद सर आपको
चुप से आँसू हँसी में क्यों छलके,
जवाब देंहटाएंमुसकराहट ये खोखली ना हो.
वाह!!!
खुशबुओं से महक उठा मौसम,
तू कहीं पास ही खड़ी ना हो.
एक हे बढकर एक शेर... बहुत ही लाजवाब गजल
वाहवाह!!!!