कश्तियाँ डूबीं अनेकों फिर भी घबराया नहीं ...
देख
कर तुमको जहाँ में और कुछ भाया नहीं.
कैसे
कह दूँ ज़िन्दगी में हमने कुछ पाया नहीं.
सोच
लो तानोगे छतरी या तुम्हे है भीगना,
आसमाँ
पे प्रेम का बादल अभी छाया नहीं.
प्रेम
की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट
कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
पत्थरों
से दिल लगाने का हुनर भी सीख लो,
फिर
न कहना वक़्त रहते हमने समझाया नहीं.
प्रेम
हो, शृंगार, मस्ती, या विरह की बात हो,
कौन
सा है रंग जिसको प्रेम ने गाया नहीं.
तुमको
पाया, रब को पाया, और क्या जो चाहिए,
कश्तियाँ
डूबीं अनेकों फिर भी घबराया नहीं.
अहा! वाह!
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत सुंदर🌻♥️
जवाब देंहटाएंलाजबाव सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय गजल
जवाब देंहटाएंदेख कर तुमको जहाँ में और कुछ भाया नहीं.
जवाब देंहटाएंकैसे कह दूँ ज़िन्दगी में हमने कुछ पाया नहीं.
सोच लो तानोगे छतरी या तुम्हे है भीगना,
आसमाँ पे प्रेम का बादल अभी छाया नहीं.
..बहुत सुंदर भावों का सृजन,जीवन को परिपूर्ण करता हुआ,बहुत शुभकामनाएँ आपको दिगम्बर जी।
वाह सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंगजब ढा दिया सरकार। प्रेम में सराबोर सब कुछ। जय हो
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंप्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
बेहद उम्दा शायरी !
वाह! अद्भुत भावों की सुंदर ग़ज़ल हर शेर लाजवाब।
जवाब देंहटाएंदेख कर तुमको जहाँ में और कुछ भाया नहीं.
जवाब देंहटाएंकैसे कह दूँ ज़िन्दगी में हमने कुछ पाया नहीं.
वाह!!!
प्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
क्या बात ....कमाल की गजल एक से बढ़कर एक शेर...
लाजवाब।
जवाब देंहटाएंपत्थरों से दिल लगाने का हुनर भी सीख लो,
फिर न कहना वक़्त रहते हमने समझाया नहीं.
वाह बहुत ही बेहतरीन पेशकश ।
बाकमाल ग़ज़ल पेश की है आ0 दिगम्बर साहब ।
मेरी जानिब से ढ़ेरों दाद वसूल पाइएगा ।
सादर
बहुत सुंदर गज़ल !
जवाब देंहटाएंवाह! वाह! बहुत ख़ूब।
जवाब देंहटाएंवाह वाह
जवाब देंहटाएंकमाल कर दिया साहब. बहुत उम्दा गजल.
मैंने ऐसे विषय पर; जो आज की जरूरत है एक नया ब्लॉग बनाया है. कृपया आप एक बार जरुर आयें. ब्लॉग का लिंक यहाँ साँझा कर रहा हूँ- नया ब्लॉग नई रचना
प्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
जवाब देंहटाएंलौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
पत्थरों से दिल लगाने का हुनर भी सीख लो,
फिर न कहना वक़्त रहते हमने समझाया नहीं.
क्या बात है नसवा जी .... आपका प्रेम भरा दिल आज क्या समझाने चला है ? :}
बेहतरीन ग़ज़ल
आपकी लिखी रचना सोमवार 21 जून 2021 को साझा की गई है ,
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।संगीता स्वरूप
बेहतरीन👌👌
जवाब देंहटाएंप्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
👏👏👏
बेहतरीन👌👌
जवाब देंहटाएंप्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
👏👏👏
बेहतरीन👌👌
जवाब देंहटाएंप्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
👏👏👏
बेहतरीन👌👌
जवाब देंहटाएंप्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
👏👏👏
बेहतरीन👌👌
जवाब देंहटाएंप्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
लौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
👏👏👏
प्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
जवाब देंहटाएंलौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
पत्थरों से दिल लगाने का हुनर भी सीख लो,
फिर न कहना वक़्त रहते हमने समझाया नहीं.
वाह !! बहुत खूब...हमेशा की तरह लाजबाब...,सादर नमन आपको
प्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
जवाब देंहटाएंलौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
वाह!! बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीय।
बेहतरीन ग़ज़ल हमेशा की तरह लाज़वाब हर बंध।
जवाब देंहटाएंप्रणाम सर।
सादर।
लेखन की परिपक्वता निखर कर शिखर तक है , सोना पर सुहागा।
जवाब देंहटाएंलाजवाब।
प्रेम की पग-डंडियों पर पाँव रखना सोच कर,
जवाब देंहटाएंलौट कर इस राह से वापस कोई आया नहीं.
वाह..
अहा! अप्रतिम सृजन ..
जवाब देंहटाएंतुमको पाया, रब को पाया, और क्या जो चाहिए,
जवाब देंहटाएंकश्तियाँ डूबीं अनेकों फिर भी घबराया नहीं.,,,,,।बहुत सुंदर ग़ज़ल हमेशा की तरह,,, आदरणीय शुभकामनाएँ ।
तुमको पाया, रब को पाया, और क्या जो चाहिए,
जवाब देंहटाएंकश्तियाँ डूबीं अनेकों फिर भी घबराया नहीं.
बहुत बहुत शानदार ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंसोच लो तानोगे छतरी या तुम्हे है भीगना,
आसमाँ पे प्रेम का बादल अभी छाया नहीं.
उफ ! कहाँ से उतरते हैं ये गज़ब के अशआर !
और इसके भी क्या कहने ....
पत्थरों से दिल लगाने का हुनर भी सीख लो,
फिर न कहना वक़्त रहते हमने समझाया नहीं.
अद्भुत भावों की सुंदर ग़ज़ल हर शेर लाजवाब
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