चाँद उतरा, बर्फ पिघली, ये जहाँ महका दिया ...
बादलों के पार तारों में कहीं छुड़वा दिया I
चन्द टूटी ख्वाहिशों का दर्द यूँ बिखरा दिया I
एक बुन्दा क्या मिला यादों की खिड़की खुल गई,
वक़्त ने बरसों पुराने इश्क़ को सुलगा दिया I
करवटों के बीच सपनों की ज़रा दस्तक हुई,
रात ने झिर्री से तीखी धूप को सरका दिया I
आसमानी चादरें माथे पे उतरी थीं अभी,
एक तितली ने पकड़ कर चाँद को बैठा दिया I
प्रेम का सच आँख से झरता रहा आठों पहर,
और होठों के सहारे झूठ था, बुलवा दिया I
पेड़ ने पत्ते गिराए पर हवा के ज़ोर पे,
और सारा ठीकरा पतझड़ के सर रखवा दिया I
एक चरवाहे की मीठी धुन पहाड़ी से उठी,
चाँद उतरा, बर्फ पिघली, ये जहाँ महका दिया I
गजब
जवाब देंहटाएंकरवटों के बीच सपनों की ज़रा दस्तक हुई,
जवाब देंहटाएंरात ने झिर्री से तीखी धूप को सरका दिया I
आसमानी चादरें माथे पे उतरी थीं अभी,
एक तितली ने पकड़ कर चाँद को बैठा दिया I
अहा , कितनी खूबसूरत ग़ज़ल । हर शेर आला दर्जे का 👌👌👌👌👌👌
बहुत सुंदर गजल।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना गुरुवार 15 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
"एक बुन्दा क्या मिला यादों की खिड़की खुल गई,
जवाब देंहटाएंवक़्त ने बरसों पुराने इश्क़ को सुलगा दिया।" ...
"ख़ुदा करे कि क़यामत हो और .. तू आये" की तर्ज़ पर अगर कहूँ तो .. क़ुदरत की महिमा हो और आपको दोनों ही बुन्दे अतिशीघ्र मिल जाएँ, ताकि खिड़कियों के साथ-साथ दरवाज़े भी खुल जाएं और इश्क़ .. सुलगने की जगह किसी हवन कुण्ड की पावन लौ की तरह जल उठे .. बस यूँ ही ...
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय गजल
जवाब देंहटाएंचाँद उतरा,
जवाब देंहटाएंबर्फ पिघली,
ये जहाँ महका दिया
बेहतरीन..
सादर.
वाह वाह !बहुत खूब !
जवाब देंहटाएं"एक बुन्दा क्या मिला यादों की खिड़की खुल गई,
जवाब देंहटाएंवक़्त ने बरसों पुराने इश्क़ को सुलगा दिया I"
बहुत खूब !!बेहद प्यारी ग़ज़ल....सादर नमन आपको
एक चरवाहे की मीठी धुन पहाड़ी से उठी,
जवाब देंहटाएंचाँद उतरा, बर्फ पिघली, ये जहाँ महका दिया I
बहुत बढ़िया। मायूसियों के बीच प्रफुल्लित करने वाला एक पल। .
लाजवाब हर शे'र..
जवाब देंहटाएंवाह ! हमेशा की तरह बेमिसाल सृजन !
जवाब देंहटाएंएक बुन्दा क्या मिला यादों की खिड़की खुल गई,
जवाब देंहटाएंवक़्त ने बरसों पुराने इश्क़ को सुलगा दिया I
लाजवाब...
बेहतरीन ...
बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
पेड़ ने पत्ते गिराए पर हवा के ज़ोर पे,
जवाब देंहटाएंऔर सारा ठीकरा पतझड़ के सर रखवा दिया।
एक चरवाहे की मीठी धुन पहाड़ी से उठी,
चाँद उतरा, बर्फ पिघली, ये जहाँ महका दिया..वाह!गज़ब लिखा सर 👌
सादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (16-07-2021) को "चारु चंद्र की चंचल किरणें" (चर्चा अंक- 4127) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद सहित।
"मीना भारद्वाज"
वाह वाह क्या बात है!! हर एक शेर लाजवाब!!कई बार पढ़ ली!!
जवाब देंहटाएंआह... जोरदार ग़ज़ल है सर।
जवाब देंहटाएंबुंदा का प्रयोग बहुत बेहतरीन हुआ है।
अंतिम शेर ने हर मौसम को एक जगह ला दिया है।
कमाल है कमाल।
बहुत सुंदर लाजबाव ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंप्रेम का सच आँख से झरता रहा आठों पहर,
जवाब देंहटाएंऔर होठों के सहारे झूठ था, बुलवा दिया I
वाह!!! सुभान अल्लाह!!!!
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंनज़्म में उतरते हुए चंद पलों के लिए सब कुछ ठहर जाता है । उम्दा ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लाजबाव रचना । बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब सृजन है आपका, हमेशा की तरह किसी एक शेर की तारीफ में क्या कहूं, सारे शेर एक पर एक भारी ।
जवाब देंहटाएंअभिनव अभिव्यक्ति।
अद्भुत रचना
जवाब देंहटाएंएक बुन्दा क्या मिला यादों की खिड़की खुल गई,
जवाब देंहटाएंवक़्त ने बरसों पुराने इश्क़ को सुलगा दिया I
वाह! बेहद लाजवाब ग़ज़ल।
पेड़ ने पत्ते गिराए पर हवा के ज़ोर पे,
जवाब देंहटाएंऔर सारा ठीकरा पतझड़ के सर रखवा दिया
वाह वाह!!!
बहुत ही उत्कृष्ट गजल...कमाल के शेर...लाजवाब !!!!
एक बुन्दा क्या मिला यादों की खिड़की खुल गई,
जवाब देंहटाएंवक़्त ने बरसों पुराने इश्क़ को सुलगा दिया I
बहुत उम्दा ग़ज़ल....
एक एक शेर में अभिव्यक्ति और शब्दों का चमत्कार हुआ है।
जवाब देंहटाएंहर एक पंक्ति ग़ज़लों के खजाने का अनमोल नग है।
करवटों के बीच सपनों की ज़रा दस्तक हुई,
रात ने झिर्री से तीखी धूप को सरका दिया I
प्रेम का सच आँख से झरता रहा आठों पहर,
और होठों के सहारे झूठ था, बुलवा दिया I
ये दोनों शेर विशेष पसंद आए। और बुंदे का यादों से जुड़ना....
वाह !!!
बहुत सुंदर लाजवाब सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंपेड़ ने पत्ते गिराए पर हवा के ज़ोर पे,
जवाब देंहटाएंऔर सारा ठीकरा पतझड़ के सर रखवा दिया I
एक चरवाहे की मीठी धुन पहाड़ी से उठी,
चाँद उतरा, बर्फ पिघली, ये जहाँ महका दिया I
.. यादों का सोया सैलाब लौट आया
बहुत-बहुत खूब, लाजवाब।
बहुत सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंकरवटों के बीच सपनों की ज़रा दस्तक हुई,
रात ने झिर्री से तीखी धूप को सरका दिया,,,,,, बहुत सुंदर,आप की ग़ज़लों में शब्दों के तालमेल की जादूगरी निःशब्द कर देती है ।
एक चरवाहे की मीठी धुन पहाड़ी से उठी,
जवाब देंहटाएंचाँद उतरा, बर्फ पिघली, ये जहाँ महका दिया I एक बार फिर से अपने पसंदीदा अल्फ़ाज़ों को पढ़कर अच्छा लगा !!