ज़रूर नाम किसी शख्स ने लिया होता
किसी हसीन के जूड़े में सज रहा होता.
खिला गुलाब कहीं पास जो पड़ा होता.
किसी की याद में फिर झूमता उठा
होता,
किसी के प्रेम का प्याला जो गर पिया होता.
यकीन मानिए वो सामने खड़ा होता,
वो इक गुनाह जो हमने कहीं किया होता.
हर एक हाल में तन के खड़ा हुआ होता,
खुद अपने आप से मिलता कभी लड़ा होता.
किसी के काम कभी मैं भी आ गया होता,
दुआ के साथ मेरे हाथ जो शफ़ा होता,
किसी मुकाम पे मिलता कहीं रुका
होता,
मेरी तलाश में घर से अगर चला होता.
लगाता हुस्न जो मरहम किसी के ज़ख्मों पर,
ज़रूर नाम किसी शख्स ने लिया होता.
किसी मुकाम पे मिलता कहीं रुका होता,
जवाब देंहटाएंमेरी तलाश में घर से अगर चला होता.... वाह । अच्छी गजल।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 8 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
हर एक हाल में तन के खड़ा हुआ होता,
जवाब देंहटाएंखुद अपने आप से मिलता कभी लड़ा होता.
वाह ! बेहतरीन गजल !
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-09-2021) को चर्चा मंच "भौंहें वक्र-कमान न कर" (चर्चा अंक-4181) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
किसी के काम कभी मैं भी आ गया होता,
जवाब देंहटाएंदुआ के साथ मेरे हाथ जो शफ़ा होता,
वाह । हर शेर उम्दा।
वाह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन व लाजवाब अशआरों से सजी खूबसूरत ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंकिसी मुकाम पे मिलता कहीं रुका होता,
जवाब देंहटाएंमेरी तलाश में घर से अगर चला होता.
लगाता हुस्न जो मरहम किसी के ज़ख्मों पर,
ज़रूर नाम किसी शख्स ने लिया होता...वाह, बेहतरीन शेर और खूबसूरत गजल ।
बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय गजल
जवाब देंहटाएंबढ़िया शैर कही है :
जवाब देंहटाएंहर एक हाल में तन के खड़ा हुआ होता,
खुद अपने आप से मिलता कभी लड़ा होता.-नासवा जी ने।
वाह! लाजवाब/बेमिसाल।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर नासवा जी सार्थक मोहक ।
लगाता हुस्न जो मरहम किसी के ज़ख्मों पर,
जवाब देंहटाएंज़रूर नाम किसी शख्स ने लिया होता.
बहुत सुंदर ग़ज़ल...
ज़रूर नाम किसी शख्स ने लिया होता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना !
किसी के काम कभी मैं भी आ गया होता, दुआ के साथ मेरे हाथ जो शफ़ा होता; ख़ूब कहा दिगम्बर जी आपने।
जवाब देंहटाएंलगाता हुस्न जो मरहम किसी के ज़ख्मों पर,
जवाब देंहटाएंज़रूर नाम किसी शख्स ने लिया होता.
वाह!!!
हमेशा की तरह एक और लाजवाब गजल
एक से बढ़कर एक शेर
वाह वाह।
किसी की याद में फिर झूमता उठा होता,
जवाब देंहटाएंकिसी के प्रेम का प्याला जो गर पिया होता.
यकीन मानिए वो सामने खड़ा होता,
वो इक गुनाह जो हमने कहीं किया होता.
वाह! सच है प्रेम के गहराई वही जानता है जो उसमें डूबकर उससे बाहर नहीं निकलना चाहता हो
बहुत खूब..
किसी के काम कभी मैं भी आ गया होता,
जवाब देंहटाएंदुआ के साथ मेरे हाथ जो शफ़ा होता----बहुत खूब नासवा जी,
बहुत कुछ हो गया होता गर वो वादों पर टिका होता>>>
हर बार एक अलग और नये ढंग से निखरती हुई ग़ज़ल से मिलना होता है । जिसको बस अपलक निहारना ही होता है । बहुत ही खूबसूरत...
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही शानदार और प्यारी गजल!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा सर आपने। हमेशा की तरह एक और शानदार ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंयकीन मानिए वो सामने खड़ा होता,
जवाब देंहटाएंवो इक गुनाह जो हमने कहीं किया होता.
हर एक हाल में तन के खड़ा हुआ होता,
खुद अपने आप से मिलता कभी लड़ा होता
वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
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