चलो बूँदा-बाँदी को बरसात कर लें
कहीं दिन गुजारें, कहीं रात कर लें.
कभी खुद भी खुद से मुलाक़ात कर लें.
बुढ़ापा है यूँ भी तिरस्कार होगा,
चलो साथ बच्चों के उत्पात कर लें.
ज़रूरी नहीं है जुबानें समझना,
इशारों इशारों में कुछ बात कर लें.
मिले डूबते को बचाने का मौका,
कभी हम जो तिनके सी औकात कर लें.
न जज हम करें, न करें वो हमें जज,
भरोसा रहे ऐसे हालात कर लें.
ये बस दोस्ती में ही मुमकिन है यारों,
बिना सोचे समझे हर इक बात कर लें.
दिखाना मना है जो दुनिया को आँसू,
चलो बूँदा-बाँदी को बरसात कर लें.
वाह !
जवाब देंहटाएंदिखाना मना है जो दुनिया को आँसू,
चलो बूँदा-बाँदी को बरसात कर लें.
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ।
भरोसा रहे ऐसे हालात कर में.
में की जगह लें आएगा शायद ।
जी बहुत आभार ठीक कर लिया है ...
हटाएंसुंदर, सार्थक रचना !........
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत है।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-10-21) को "पढ़ गीता के श्लोक"(चर्चा अंक 4213) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
वाह!बहुत ही बढ़िया सर 👌
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंये बस दोस्ती में ही मुमकिन है यारों,
जवाब देंहटाएंबिना सोचे समझे हर इक बात कर लें.
दिखाना मना है जो दुनिया को आँसू,
चलो बूँदा-बाँदी को बरसात कर लें.
वाह बहुत ही शानदार!
बहुत बहुत सुन्दर बहुत प्रशंसनीय गजल ।
जवाब देंहटाएंज़रूरी नहीं है जुबानें समझना,
जवाब देंहटाएंइशारों इशारों में कुछ बात कर लें--बहुत शानदार।
वाह! बूंदा बाँदी से काम नहीं चले तो उन्हें बरसात कर लें, बहुत ख़ूब, सभी शेर गहन अर्थ छुपाए हैं,
जवाब देंहटाएंये बस दोस्ती में ही मुमकिन है यारों,
जवाब देंहटाएंबिना सोचे समझे हर इक बात कर लें.
वाह, हमेशा की तरह शानदार।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंये बस दोस्ती में ही मुमकिन है यारों,
बिना सोचे समझे हर इक बात कर लें.
बहुत बहुत सुंदर, उम्दा सृजन,हर शेर अपने आप में मुकम्मल।
ये बस दोस्ती में ही मुमकिन है यारों,
जवाब देंहटाएंबिना सोचे समझे हर इक बात कर लें.
दिखाना मना है जो दुनिया को आँसू,
चलो बूँदा-बाँदी को बरसात कर लें.
..बहुत सुन्दर
मिले डूबते को ....बहुत खूबसूरत रचना!
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