यूँ पाँव पाँव चल के तो जाए न जाएँगे ...
खुल कर तो आस्तीन
में पाए न जाएँगे.
इलज़ाम दोस्तों पे
लगाए न जाएँगे.
सदियों से
पीढ़ियों ने जो बाँधी हैं बेड़ियाँ,
इस दिल पे उनके
बोझ उठाए न जाएँगे.
अब मौत ही करे तो
करे फैंसला कोई,
खुद चल के इस
जहान से जाए न जाएँगे.
अच्छा है डायरी
में सफों की कमी नहीं,
वरना तो इतने राज़
छुपाए न जाएँगे.
सुलगे हैं वक़्त
की जो रगड़ खा के मुद्दतों,
फूकों से वो चराग़
बुझाए न जाएँगे.
अब वक़्त कुछ हिसाब
करे तो मिले सुकूँ,
दिल से तो इतने
घाव मिटाए न जाएँगे.
इतनी पिलाओगे जो
नज़र की ये शोखियाँ,
यूँ पाँव पाँव चल
के तो जाए न जाएँगे.
लाजवाब
जवाब देंहटाएंवाह♥️
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह ! जिंदगी के कई पहलुओं को उभारती गजल
जवाब देंहटाएंखुल कर तो आस्तीन में पाए न जाएँगे.
जवाब देंहटाएंइलज़ाम दोस्तों पे लगाए न जाएँगे.,,,,,।बहुत सच कहा आपने बहुत शानदार रचना,दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(११-११-२०२१) को
'अंतर्ध्वनि'(चर्चा अंक-४२४५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
लाजवाब
जवाब देंहटाएंसुलगे हैं वक़्त की जो रगड़ खा के मुद्दतों,
जवाब देंहटाएंफूकों से वो चराग़ बुझाए न जाएँगे.
अब वक़्त कुछ हिसाब करे तो मिले सुकूँ,
दिल से तो इतने घाव मिटाए न जाएँगे
–अद्धभुत भावाभिव्यक्ति
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअद्भुत पंक्तियाँ 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कही..
जवाब देंहटाएंअब मौत ही करे तो करे फैंसला कोई,
खुद चल के इस जहान से जाए न जाएँगे.
चार कंधे तो चाहिए काया को प्राण निकलने के बाद भी।
बहुत बहुत उम्दा।
शेरो-सुखन का दौर चले यूँ ही उम्र भर,
जवाब देंहटाएंमहफ़िल से वाह बिन किए, हम तो न जाएंगे
अच्छा है डायरी में सफों की कमी नहीं,
जवाब देंहटाएंवरना तो इतने राज़ छुपाए न जाएँगे.
वाह!!!
सुलगे हैं वक़्त की जो रगड़ खा के मुद्दतों,
फूकों से वो चराग़ बुझाए न जाएँगे.
वाह वाह..
बहुत ही लाजवाब।
बढ़िया ग़ज़ल 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंलाजवाब!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय गजल ।
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