ऊंघ रही हैं बोझिल पलकें और उबासी सोफे पर
धूप छुपी मौसम बदला फिर लिफ्ट मिल गई मौके पर.
कतरा-कतरा शाम पिघलती देखेंगे चल छज्जे पर.
तेरे जाते ही पसरी है एक उदासी कमरे पर,
सीलन-सीलन दीवारों पर सिसकी-सिसकी कोने पर.
मद्धम-मद्धम चाँद का टैरस घूँट-घूँट कौफी का टश,
पैदल-पैदल मैं आता हूँ तू बादल के टुकड़े पर.
लम्हा-लम्हा इश्क़ बसंती कर देता है फिजाँ-फिजाँ,
गुलशन-गुलशन फूल खिले है इक तितली के बोसे पर.
चुभती हैं रह-रह कर एड़ी पर कुछ यादें कीलों सी,
धूल अभी तक तन्हा-तन्हा जमी हुई है जूते पर.
ठहरा-ठहरा शाम का लम्हा छपा हुआ है गाड़ा सा,
ताज़ा-ताज़ा होठ मिलेंगे फिर कौफी के मग्गे पर.
ठक-ठक, खट-खट, घन्टी-घन्टी गेट खड़कता रहता है,
ऊंघ रही हैं बोझिल पलकें और उबासी सोफे पर.
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (17-11-2021) को चर्चा मंच "मौसम के हैं ढंग निराले" (चर्चा अंक-4251) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 16 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
वाह
जवाब देंहटाएंवाह अनुपम 👌👌
जवाब देंहटाएंसुंदर शानदार रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर बहुत सराहनीय
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर व प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंधूल अभी तक तन्हा-तन्हा जमी हुई है जूते पर. बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंएक और नायाब, मनमोहक ग़ज़ल 👌👌🎈🙏🌷🌷💐💐
जवाब देंहटाएंमद्धम-मद्धम चाँद का टैरस घूँट-घूँट कौफी का टश,
जवाब देंहटाएंपैदल-पैदल मैं आता हूँ तू बादल के टुकड़े पर.
चुभती हैं रह-रह कर एड़ी पर कुछ यादें कीलों सी,
धूल अभी तक तन्हा-तन्हा जमी हुई है जूते पर.
वाह और सिर्फ़ वाह वाह 🙏🙏😐
लम्हा-लम्हा इश्क़ बसंती कर देता है फिजाँ-फिजाँ,
जवाब देंहटाएंगुलशन-गुलशन फूल खिले है इक तितली के बोसे पर.
वाह!!!
ठक-ठक, खट-खट, घन्टी-घन्टी गेट खड़कता रहता है,
ऊंघ रही हैं बोझिल पलकें और उबासी सोफे पर.
बहुत ही लाजवाब... साधारण बोलचाल की भाषा के शब्दों को अद्भुत विन्यास में पिरोकर कमाल की गजल सजाते हैं...
वाह!!!
मद्धम-मद्धम चाँद का टैरस घूँट-घूँट कौफी का टश,
जवाब देंहटाएंपैदल-पैदल मैं आता हूँ तू बादल के टुकड़े पर.
अति सुन्दर !!