दो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ ...
यूँ तो तमाम रात अँधेरा नहीं हुआ.
फिर क्या हुआ के आज सवेरा नहीं हुआ.
धड़कन किसी का नाम सजा देगी खुद-ब-खुद,
दिल पर किसी का नाम उकेरा नहीं हुआ.
हर हद करी है पार फ़कत जिसके नाम पर,
बस वो निगाहें यार ही मेरा नहीं हुआ.
मिल कर सभी से देख लिया ज़िन्दगी में अब,
है कौन जिसको इश्क़ ने घेरा नहीं हुआ.
लाली किसी के इश्क़ की उतरी है गाल पर,
चेहरे पे बस गुलाल बिखेरा नहीं हुआ.
उनको न ढब, समझ,
न सलीका, न कुछ शऊर,
दो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ.
बहुत खूब हर शेर मुकम्मल हर शेर लाजवाब।
जवाब देंहटाएंआपकी हर ग़ज़ल लाजबाव होती है
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(26-12-21) को क्रिसमस-डे"(चर्चा अंक4290)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
वाह्ह... बेहतरीन गज़ल सर।
जवाब देंहटाएंसादर।
लाजबाव सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत खूब 👌👌👌🙏
जवाब देंहटाएंवह...!♥️
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंहम तो आपके और आपकी शायरी के हो गए जनाब !
हर हद करी है पार फ़कत जिसके नाम पर,
जवाब देंहटाएंबस वो निगाहें यार ही मेरा नहीं हुआ.
हमेशा की तरह लाजवाब गजल..
एक से बढ़कर एक शेर
वाह!!!
उनको न ढब, समझ, न सलीका, न कुछ शऊर,
जवाब देंहटाएंदो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ.. नायाब शेरों से सज्जित बेहतरीन गजल ।
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहर हद करी है पार फ़कत जिसके नाम पर,
जवाब देंहटाएंबस वो निगाहें यार ही मेरा नहीं हुआ.
व्यथित एहसास को व्यक्त करती पंक्तियाँ।
हर पंक्ति लाजवाब
नमस्ते!👏!
जवाब देंहटाएंयात्रा पर रहने और आज नेटवर्क उपलब्ध होने के कारण मैं आज रचनाओं को देख पा रहा हूँ।
आपकी गजलें बहुत अच्छी हैं।
हर हद करी है पर फकत जिसके नाम पर!
वाह! --ब्रजेंद्रनाथ
मिल कर सभी से देख लिया ज़िन्दगी में अब,
जवाब देंहटाएंहै कौन जिसको इश्क़ ने घेरा नहीं हुआ.
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उनको न ढब, समझ, न सलीका, न कुछ शऊर,
दो-चार बात कर के जो तेरा नहीं हुआ.
इश्क से दो-चार सभी होते ही हैं, गर कुछ सामने होते है तो कुछ पीछे नजर आते हैं
सच है जिसेे इश्क की समझ नहीं, उसका इश्क-इश्क कहांं होगा
बहुत ही सुन्दर गजल
इतनी सुंदर ग़ज़ल है कि बार बार पढ़ी।
जवाब देंहटाएंदो पंक्तियाँ मेरी तरफ से -
घर हो के हो दरख्त, सबसे दर-ब-दर हुई,
'चिड़िया' के नाम कोई बसेरा नहीं हुआ।
क्या बात है प्रिय मीना 👌👌👌🌹🌹❤️❤️
हटाएंधड़कन किसी का नाम सजा देगी खुद-ब-खुद,
जवाब देंहटाएंदिल पर किसी का नाम उकेरा नहीं हुआ.
हर हद करी है पार फ़कत जिसके नाम पर,
बस वो निगाहें यार ही मेरा नहीं हुआ.
माशाअल्लाह! आफरीन! आफ़रीन!!!!!!👍👌👌👌🙏🙏
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जवाब देंहटाएंयूँ तो तमाम रात अँधेरा नहीं हुआ.
जवाब देंहटाएंफिर क्या हुआ के आज सवेरा नहीं हुआ
बेहतरीन भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
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