बुधवार, 16 फ़रवरी 2022
जंगली गुलाब ...
लम्बे समय से गज़ल लिखते लिखते लग रहा है जैसे मेरा
जंगली-गुलाब कहीं खो रहा है ... तो आज एक नई रचना के साथ ... अपने जंगली गुलाब के साथ ...
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मुरझा जाता है टूट जाने के कुछ लम्हों में
जवाब देंहटाएंमाना रहती हैं यादें, कई कई दिन ताज़ा...
प्रेम नागफनी नहीं हो सकता। फूल ही है,चाहे जंगली गुलाब ही क्यों ना हो। टूट जाने पर मुरझा तो जाता है पर मुरझाए फूलों में भी सुगंध तो बनी रहती है।
जंगली गुलाब का लौटना अच्छा लगा।
बहुत ख़ूबसूरत कृति ।जंगली गुलाब को पुनः सृजनात्मक कड़ी के रूप में पढ़ना अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंगुलाब चाहे जंगली ही क्यों न हो उसका लौटना अच्छा लगा। सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 17 फ़रवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
कसम है तुम्हें उसी प्रेम की
जवाब देंहटाएंअगर हुआ है कभी मुझसे, तो सच-सच बताना
प्रेम तो शायद नहीं ही कहेंगे उसे ...
तुम चाहो तो जंगली-गुलाब का नाम दे देना .,,,, बहुत ख़ूबसूरत अहसास के साथ वापस रूबरू हुआ है आप का जंगली गुलाब, बहुत सुंदर लौट आना एक सृजन को नया रूप देता है ।
आदरणीय नसवा जी, खिलता हुआ यह जंगली फूल अत्यंत ही लुभावन है। इसे कभी मुरझाने मत दीजिएगा।।
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर सी रचना हेतु बधाई।।।।।।
गुलाब तो गुलाब होता है, चाहे वो जंगली हो या मधुबनी ।प्रेम में जो भी गुलाब मिले वो सुंदर और सुगंधित ही होता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना के लिए बधाई ।
फिर सोचता हूँ प्रेम नागफनी क्यों नहीं
जवाब देंहटाएंरहता है ताज़ा कई कई दिन, तोड़ने के बाद
दर्द भी देता है हर छुवन पर, हर बार .... वाह! 👌
भावों की अथाह गहराई लिए बेहतरीन सृजन।
सादर
गुलाब जंगली है तभी तो खुशबू ताज़ा है अब तक...।
जवाब देंहटाएंगहन अनुभूति लिए लाज़वाब रचना सर।
सादर।
वाह नासवा जी, प्रणय-निवेदन के लिए वैलेंटाइन डे वाला मौसम ही आपने चुना!
जवाब देंहटाएंअब आप चाहे नागफनी का तोहफ़ा दीजिए या फिर जंगली गुलाब का, आपका प्रणय-निवेदन जब हम तक पहुंचा है तो वह निश्चित ही वहां भी पहुंचा होगा जहाँ कि इसे पहुंचना चाहिए था.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंनागफनी और जंगली गूलाब के मध्य
जवाब देंहटाएंपाया संभवतः प्रेम के अंकुर ने ठौर
अभिनंदन नासवा जी ।
कभी लगता है प्रेम करने वाले हो जाते हैं सुन्न
जवाब देंहटाएंदर्द से परे, हर सीमा से विलग
बुनते हैं अपन प्रेम-आकाश, हर छुवन से इतर
प्रेम के भी सबके अपने अपने अनुभव और एहसास है...फिर भी प्रेम तो प्रेम है जंगली गुलाब हो या फिर नागफनी!
वाह!!!
आपकी नज्म का भी अपना अनोखा अंदाज है और फिर ये जंगली गुलाब!
किसी भी मौसम में खिलने को बेताब
लाजवाब हमेशा से...
उम्दा कृति
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंरोमांचक अनुभूति समेटे मंजुल गुलाब-जंगली, जंगली गुलाब आड़म्बरों से दूर जिसका बागबां ख़ुद ख़ुदा होता है ,गुलाब से लम्बी आयु गुलाब से कम नाज़ुक।
जवाब देंहटाएंउम्दा सृजन नासा जी बहुत अच्छा लगा जंगली गुलाब।
वाह! बहुत खूबसूरत अंदाज़!!!🌹🌹🌹
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद आपकी नज़्म आयी है । और ये जंगली गुलाब पर आपका शोध कमाल का है । बहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंआपकी कल्पना को प्रणाम
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना
सादर
इस अंदाज की भी अलग कशिश है ... कुछ ज्यादा ही।
जवाब देंहटाएंवाह प्रेम सचमुच अपरिभाषित है . आपकी पंक्तियाँ कहीं दूर लेजाती हैं प्रेम की तलाश में
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