उस दिन आकाश में नहीं उगे तारे
तुम खड़ी रहीं बहुत देर तक उन्हें देखने की जिद्द में
तारों की जिद्द ... नहीं उगेंगे तुम्हारे सामने
नहीं करनी थी उन्हें बात तुम्हारे सामने
और नहीं मंज़ूर था उन्हें दिगंबर हो जाना
उठा देना किसी के आवारा प्रेम से पर्दा
तर्क करने वालों ने सोचा
शोलों से लपकती तुम्हारी रौशनी की ताब
धुंधला न कर दे उन तारों को
तर्क वाले कहां समझते हैं दिल की बातें, प्रेम का मकसद
जब उठने लगता है रात का गहरा आवरण
और तुम भी आ जाती हो कमरे के भीतर
शीतल चांदनी तले पनपने लगता है एहसास का मासूम बूटा
आज रात सोएँगे नहीं तारे
मौका मिले तो ज़रूर देख आना आसमान पर
जिद्द है उनकी मिट जाने की ... सुबह होने तक
#जंगली_गुलाब
और यदि चली गईं तुम तारों को देखने बाहर , तो सह नहीं सकेंगे तुम्हारी ताब ।
जवाब देंहटाएंएहसासों से भरी रचना ।
सच ही प्रेम और तर्क दोनों में जमीन आसमान का फर्क है
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 03 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (3-7-22) को "प्रेम और तर्क"( चर्चा अंक 4479) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
प्रभाविक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतरोताज़ा करने वाली रचना । वाह !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआज रात सोएँगे नहीं तारे
जवाब देंहटाएंमौका मिले तो ज़रूर देख आना आसमान पर
जिद्द है उनकी मिट जाने की ... सुबह होने तक... वाह!गज़ब 👌
आज रात सोएँगे नहीं तारे
जवाब देंहटाएंमौका मिले तो ज़रूर देख आना आसमान पर
जिद्द है उनकी मिट जाने की ... सुबह होने तक... वाह!गज़ब 👌
गोया कि तारे भी प्रेम की उँचाई और गहराई दोनों से वाकिफ़ हैं।पर तर्क और प्रेम एक दूसरे से विपरीत हैं।जहाँ तर्क है वहाँ प्रेम मिट जाता है।
जवाब देंहटाएंरूहानी एहसासों से भरा अत्यंत मोहक और लुभावन शब्द चित्र 🌹🌹🌺🌹🌺👌👌👌👌
गहन भाव! विरोधाभास में रहस्यात्मकता
जवाब देंहटाएंएक तरफ
तारों की जिद्द ... नहीं उगेंगे तुम्हारे सामने
दूसरी तरफ
आज रात सोएँगे नहीं तारे
मौका मिले तो ज़रूर देख आना आसमान पर ।
अद्भुत!!
तर्क वाले कहां समझते हैं दिल की बातें, प्रेम का मकसद ....
जवाब देंहटाएं...बहुत सही .
वाह
जवाब देंहटाएंतारों की जिद्द ... नहीं उगेंगे तुम्हारे सामने
जवाब देंहटाएंनहीं करनी थी उन्हें बात तुम्हारे सामने
और नहीं मंज़ूर था उन्हें दिगंबर हो जाना
उठा देना किसी के आवारा प्रेम से पर्दा
वाह!!!
उनके बस की बात कहाँ यूँ दिगम्बर हो जाना
सीखा ही कहाँ किसी ने ऐसी नज्म सजाना
बहुत ही लाजवाब सृजन ।