भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की सबको बहुत बहुत बधाई ...
प्रेम की ख़ुशबू यहाँ, बलिदान का लोबान है
इस भरत भू की तो कान्हा राम से पहचान है
इक तरफ़ उत्तर दिशा में ध्यान मय हिमवान है
और दक्षिण छोर पे सागर बड़ा बलवान है
योग-माया, शिव सनातन, निज
में अंतर-ध्यान है
संस्कृती जिसकी सनातन जोगिया परिधान है
रीत, व्यंजन, धर्म,
भाषा, और पहनावा जुदा
पर धड़कता है जो दिल में वो तो हिंदुस्तान है
भूमि है अन्वेषकों कि यह पुरातन काल से
वेद गीता उपनिषद में ज्ञान है विज्ञान है
खोज ही जब लक्ष्य हो तब निज की हो या हो जगत
हम कहाँ से, क्यों है जीवन, एक अनुसंधान है
देश की
अवधारणा आकार देती है हमें
कर सकूँ जीवन समर्पित मन में यह अरमान है
भूमि है अन्वेषकों कि यह पुरातन काल से
जवाब देंहटाएंवेद गीता उपनिषद में ज्ञान है विज्ञान है.
सच ही है कि मेरा भारत महान है ।
लाजवाब सृजन
शुभकामनाएं।
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जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (१५-०८ -२०२२ ) को 'कहाँ नहीं है प्यार'(चर्चा अंक-४५२३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आपने तो पूरा खाका खींच कर उसमें पूरी विशेषताएँ भर दीं - वाह!
जवाब देंहटाएंभारत का गुणगान कर रही मनोहारी रचना !
जवाब देंहटाएंऐसे ही गुणों से भरे हमारे भारत की दुनिया में एक अलग पहचान है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रण
वाह
जवाब देंहटाएंसंस्कृती जिसकी सनातन जोगिया परिधान है
जवाब देंहटाएंरीत, व्यंजन, धर्म, भाषा, और पहनावा जुदा
पर धड़कता है जो दिल में वो तो हिंदुस्तान है...अद्भुत ! जय हिन्द ! जय हिन्द की सेना