श्री कृष्ण …
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को बहुत बहुत बधाई …
सकल जगत अपना हुआ, जीत न कोई हार
कान्हा जी से जुड़ गए, अंतर्मन के तार
कान्हा जी ऐसा करो, भीगे मन इस बार
शरण तुम्हारी पा सकूँ, भव-सागर हो पार
प्रेम, समर्पण, शक्ति, धन, राधा के अधिकार
दौड़े दौड़े आ गए, कान्हा जिनके द्वार
पृथ्वी, जल-वायू, गगन, अग्नि तत्व शरीर
सुख-दुःख, माया, मोह, जग, हर बंधन में पीर
बने द्वारिकाधीश जो, रहे जगत को पाल
सखा-सखी मन जा बसे, खुद हर-हर गोपाल
बहुत सुन्दर कृष्ण रंग में पगी गजल
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत सुंदर गजल।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१९-०८ -२०२२ ) को 'वसुधा के कपाल पर'(चर्चा अंक -४५२७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंकान्हा जी ऐसा करो, भीगे मन इस बार
जवाब देंहटाएंशरण तुम्हारी पा सकूँ, भव-सागर हो पार
दिल से निकली अति सुन्दर भाव,जय श्री कृष्ण 🙏
बहुत सुंदर कृष्णमय अराधना
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं पठनीय सुंदर।
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सकल जगत अपना हुआ, जीत न कोई हार
जवाब देंहटाएंकान्हा जी से जुड़ गए, अंतर्मन के तार
वाक़ई उर में भक्ति जगे तो सारा जगत उस परमात्मा की याद दिलाता है
बेहतरीन अभिव्यक्ति नासवा जी !
जवाब देंहटाएंवाह , यह भी स्वरूप है आपके चिन्तन और लेखन का . ईश्वरोपासना आस्था का आधार होती है . आस्था बिना जीवन चिन्तन निराधार होता है . दोहे बहुत अच्छे हैं
जवाब देंहटाएंपृथ्वी, जल-वायू, गगन, अग्नि तत्व शरीर
जवाब देंहटाएंसुख-दुःख, माया, मोह, जग, हर बंधन में पीर जय
श्री कृष्णा !!