स्वप्न मेरे: नाज़ुक ख्वाब ...

बुधवार, 21 सितंबर 2022

नाज़ुक ख्वाब ...

उनींदी सी रात ओढ़े
जागती आँखों ने हसीन ख्व़ाब जोड़े
 
सुबह की आहट से पहले
छोड़ आया उन्हें तेरी पलकों तले
 
कच्ची धूप की पहली किरण
तुम्हारी पलकों पे जब दस्तक दे
हौले से अपनी नज़रें उठाना
नाज़ुक से मेरे ख्वाब
बिखर न जाएँ समय से पहले कहीं ...

11 टिप्‍पणियां:

  1. ख्वाबों का रुपहला पर्दा उठने से पहले पूरे हो जाय तो फिर क्या कहने जिदंगी के ..... ..
    बहुत सुन्दर

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 22.9.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4560 में दिया जाएगा
    धन्यवाद
    दिलबाग

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 22 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 22 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  5. कोमल भावों से बुनी सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  6. ले से अपनी नज़रें उठाना
    नाज़ुक से मेरे ख्वाब
    बिखर न जाएँ समय से पहले कहीं ...
    बहुत कोमल एहसास।

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  7. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है