नव-वर्ष …
हम दिसंबर की इक्कत्तिस रात में अब क्या करें ?
क्या विगत का ग़म के स्वागत मिल के आगत का करें ?
हम दिसंबर की …
है जो यह नव-वर्ष तम के साथ फिर आता है क्यों ?
बात है आनंद कि तो दुख चले आता है क्यों ?
नींद की टिक-टिक में उतरें पल तो क्या उसका करें ?
हम दिसंबर की …
वेदना का अंत क्या नव-वर्ष से हो पाएगा ?
भूख से छुटकारा क्या मानव को फिर मिल पाएगा ?
व्यर्थ है अवधारणा तो गीत क्यों गाया करें ?
हम दिसंबर की …
चल रहा आदित्य-पृथ्वी-चंद्रमा का दिव्य रथ,
लय सुनिश्चित, ताल नियमित, काल का पर एक पथ,
फिर बदल के वर्ष यह व्यवधान क्यों पैदा करें ?
हम दिसंबर की …
चल रहा आदित्य-पृथ्वी-चंद्रमा का दिव्य रथ,
जवाब देंहटाएंलय सुनिश्चित, ताल नियमित, काल का पर एक पथ,
फिर बदल के वर्ष यह व्यवधान क्यों पैदा करें ?
हम दिसंबर की …..
बहुत बढ़िया ..............
समय अपनी गति से चल रहा है । एक दिन में आखिर क्या कुछ बदलेगा ..... फिर भी आने वाले 365 दिन के लिए शुभकामनाएँ तो मन में रख ही सकते हैं ।
जवाब देंहटाएंआने वाला समय सभी के लिए शुभ हो !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंचिन्तनपरक भावों के साथ गहन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
समय कि गति को भला कौन बदल पाया है नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें मैं भी एक लंबे समय के बाद लौटी हूँ ब्लॉग पर आशा है संवाद बना रहेगा। आपको यदि समय मिले तो आयेगा मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है। https://mhare-anubhav.blogspot.com/2023/01/blog-post.html
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