जो लिखा है ख़त में उस पैगाम की बातें करो ...
फिर किसी मासूम पे इलज़ाम की बातें करो.
क़त्ल हो चाहे न हो पर नाम की बातें करो.
वक़्त ज़ाया मत करो जो चंद घड़ियाँ हैं मिली,
मौज मस्ती हो गयी तो काम की बातें करो.
कुर्सियों के खेल का मौसम किनारे है खड़ा,
राम की बातें हैं तो इस्लाम की बातें करो.
एक ही चेहरे में दो किरदार होते हैं कभी,
ज़िक्र राधा का जो आए श्याम की बातें करो.
रास्ता लम्बा है ग़र तो मंज़िलों पर हो नज़र,
मिल गई मंज़िल तो फिर आराम की बातें करो.
ये न सोचो क्या लिखा है, कब लिखा है, क्यों लिखा,
जो लिखा है ख़त में उस पैगाम की बातें करो.
जवाब देंहटाएंवाह ! जिंदगी की राह ही नहीं मंजिल दिखाने का पैगाम देती बेहतरीन शायरी !!
एक ही चेहरे में दो किरदार होते हैं कभी,
जवाब देंहटाएंज़िक्र राधा का जो आए श्याम की बातें करो
वाह ! बहुत ख़ूब । सुन्दर संदेश समाहित किये लाजवाब ग़ज़ल ।
वाह
जवाब देंहटाएंये न सोचो क्या लिखा है, कब लिखा है, क्यों लिखा,
जवाब देंहटाएंजो लिखा है ख़त में उस पैगाम की बातें करो.
बहुत सुंदर।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 13 फरवरी 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (12-2-23} को जीवन का सच(चर्चा-अंक 4641) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
जवाब देंहटाएं------------
कामिनी सिन्हा
वाह! बहुत सुंदर ग़ज़ल सर जी।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही शानदार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहर शेर में अनुकरणीय पैगाम है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत लिखा है आपने।
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जवाब देंहटाएंBihat chapter
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