दर्द में डूबे नज़ारों का पता देते हैं.
फूल जब टहनी से खारों का पता देते हैं.
हम ही आशिक़ हैं ये ख़ुशफ़हमी हमें थी लेकिन,
पूछने पर वो हज़ारों का पता देते हैं.
हम समझ पाए न आवाज़ का मतलब वरना,
सूखे पत्ते ही बहारों का पता देते हैं.
चाँद पर जाओ डिनर कर लो कहा था कुछ ने,
और कुछ हैं जो सितारों का पता देते हैं.
गुजरे लम्हों के भी किरदार हमें मिलने को,
सुरमई रात के तारों का पता देते हैं.
इंतिहा दर्द की, सुख-दुःख की, जो पूछी हमने,
सब तेरे इश्क़ के मारों का पता देते हैं.
रब से जब रब के ठिकानों की निशानी पूछी,
रब मुझे मेरे ही यारों का पता देते हैं.
खोजना चाहो जो जीवन का असल में मक़सद,
लोग चेहरे की दरारों का पता देते हैं,
आपके लफ़्ज़, ग़ज़ल, मित्र, नज़र, घर, दुश्मन,
आपके अपने विचारों का पता देते हैं.
“तरही ग़ज़ल”
"खोजना चाहो जो जीवन का असल में मक़सद,
जवाब देंहटाएंलोग चेहरे की दरारों का पता देते हैं,"
लाजवाब |
आपके लफ़्ज़, ग़ज़ल, मित्र, नज़र, घर, दुश्मन,
जवाब देंहटाएंआपके अपने विचारों का पता देते हैं.
बहुत ख़ूब ! बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
खूबसूरत सृजन
जवाब देंहटाएंइंतिहा दर्द की, सुख-दुःख की, जो पूछी हमने,
जवाब देंहटाएंसब तेरे इश्क़ के मारों का पता देते हैं.
वाह! बेहतरीन ग़ज़ल
रब से जब रब के ठिकानों की निशानी पूछी,
जवाब देंहटाएंरब मुझे मेरे ही यारों का पता देते हैं.
वाह!!!!
लाजवाब 👌👌🙏🙏