स्वप्न मेरे: सितंबर 2023

शनिवार, 30 सितंबर 2023

उत्तर है इसके हल में ...

क्यों अटके बीते पल में.
जब सब आज है या कल में.

रब, रिश्ते, मय, इश्क़, नज़र,
फँस जाओगे दलदल में.

ठुठ्ररी ठुठ्ररी बैठी है,
रात सिकुड़ कर कम्बल में.

किसने कैसे बूँद रखी,
नील गगन के बादल में.

फूट रही थी गुमसुम सी,
एक जवानी पिंपल में.

जुगनू बन कर धूप छुपी,
काली रात के आँचल में.

खामोशी ख़ामोश रही,
सन्नाटों की हलचल में.

धूल सी यादें चिपकी हैं,
घर की हर इक चप्पल में.

मैल उतारी यूँ ग़म की,
मल मल कर शावर जल में.

जीवन सपने हाँ इक तितली,
उत्तर है इसके हल में.

सोमवार, 25 सितंबर 2023

माँ …

 वक़्त के साथ हर चीज़ धुंधली होती जाती है पर कुछ यादें ऐसी होती हैंजो जीवन भर साथ चलती हैं जैसे आपकी साँस… माँ भी उन्हीं में से एक है … या अगर सच कहूँ तो शायद वही एक है जो रहती है बातों मेंमिसालों मेंसोच मेंखाने मेंघूमने में … और भी  जाने किस-किस में … लगता नहीं आज ग्यारह साल हो गए तुझे गए … पर लगने से क्या होता हैहोतो गए हैं … समय पर किसका बस … 

धूप देह पर मद्धम-मद्धम होती है.

माँ की डाँट-डपट भी मरहम होती है.


आशा और निराशा पल-पल जीवन-रत,

माँ तो माँ है हर पल हर-दम होती है.


माँ का शीतल आँचल अंबर सा गहरा,

सुख-दुख मौसम शोला-शबनम होती है.


माँ ने उँगली पकड़ी तब कुछ समझ सके,

वरना राह सरल भी दुर्गम होती है.


आशाएँ-उम्मीदेंझट-पट बो देगी,

माँ हर पथ पर लय-सुर-सरगम होती है.


वक़्त पे खाना-पीनाअध्यनतैयारी,

माँ ख़ुद चलता-फिरता सिस्टम होती है.


ध्येय-समर्पणनित नव-चिंतनआजीवन,

कक्षा माँ की स्वयं-समागम होती है.

सोमवार, 18 सितंबर 2023

एक एहसास ...

सुबह की चाय में इलायची सी तुम,
दिन भर छूती हो ज़िस्म हवा की मानिंद,
रात होते ही उतर आती हो खुमारी सी,
करती हो चहल-क़दमी ख़्वाबों के बीच …
सुकूनी चादर सा तुम्हारा अहसास,
आसमानी शाल सा तुम्हारा विस्तार,
ज़िंदगी यूँ नहीं गुज़र रही लम्हा-लम्हा,
कुछ तो अच्छा लिखा था मेरे खातों में …
जिनकी एवज़ में तुम मिलीं.

बिगड़ते मौसम के वजूद से बचाने वाली …
यूँ ही मुझसे लिपट कर उम्र भर चलते रहना.

मंगलवार, 12 सितंबर 2023

छाती पे उनकी मूंग भी दलने तो दे मुझे ...

सागर बुला रहा है निकलने तो दे मुझे.
तू बर्फ से पानी में बदलने तो दे मुझे.

चुपके से आफताब ने बादल से यूँ कहा,
बिखरूंगा इन फ़िज़ाओं में ढलने तो दे मुझे.

देखोगे असमान में चमकूंगा एक दिन,
छोटा सा एक ख्वाब हूँ पलने तो दे मुझे.

बच्चे जो आए सामने मैं बाप हो गया,
पापा जो सामने हैं मचलने तो दे मुझे.

तितली सी इर्द-गिर्द महकती मिलेगी तू,
इस प्रेम के गुलाल को मलने तो दे मुझे.

तारे भी तोड़ लाऊंगा अमरुद चीज क्या,
अब नाम लेके तेरा उछलने तो दे मुझे.

उनको गुनाह की तो सजा मिल ही जायगी,
छाती पे उनकी मूंग भी दलने तो दे मुझे.

बुधवार, 6 सितंबर 2023

श्री कृष्ण

सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई …🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

ब्रज गोकुल मथुरा रहेमनमोहन घनश्याम,

पश्चिम सागर तट भयोक्रिश्न द्वारिका-धाम.


मान इंद्र का तोड़ करजन के कीजो काज,

चिच्ची उँगली धर लियोगोवर्धन गिर्राज.


अधरों पर बंसी रहेमस्तक पंख मयूर,

कान्हा तो चित-चोर हैवासे राहियों दूर.


सजा हुआ है आज फिरकान्हा का दरबार,

अरजी पर शायद मेरीचर्चा हो इस बार.


सहज सरल सी बात है कहे सुदर्शन चक्र,

संयम ही अनुकूल हैसमय दृष्टि जब वक्र.


सो गलती शिशुपाल कीनहीं उतारा शीश,

दे सकते थे प्रथम परदंड द्वारिका-धीश.


शस्त्र सुदर्शन चक्र धरबंसी धुन में लीन,

कान्हा हैं हर हाल मेंभक्तों के आधीन.


धर्म पक्ष की चिर विजयवीरों का अधिकार,

अर्जुन रथ वल्गा लिएमधुसूदन तैयार.


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