सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई …🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
ब्रज गोकुल मथुरा रहे, मनमोहन घनश्याम,
पश्चिम सागर तट भयो, क्रिश्न द्वारिका-धाम.
मान इंद्र का तोड़ कर, जन के कीजो काज,
चिच्ची उँगली धर लियो, गोवर्धन गिर्राज.
अधरों पर बंसी रहे, मस्तक पंख मयूर,
कान्हा तो चित-चोर है, वासे राहियों दूर.
सजा हुआ है आज फिर, कान्हा का दरबार,
अरजी पर शायद मेरी, चर्चा हो इस बार.
सहज सरल सी बात है कहे सुदर्शन चक्र,
संयम ही अनुकूल है, समय दृष्टि जब वक्र.
सो गलती शिशुपाल की, नहीं उतारा शीश,
दे सकते थे प्रथम पर, दंड द्वारिका-धीश.
शस्त्र सुदर्शन चक्र धर, बंसी धुन में लीन,
कान्हा हैं हर हाल में, भक्तों के आधीन.
धर्म पक्ष की चिर विजय, वीरों का अधिकार,
अर्जुन रथ वल्गा लिए, मधुसूदन तैयार.
#स्वप्नमेर #जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण
वाह बधाई आपको भी |
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी पर बहुत बहुत शुभकामनाएँ, भक्ति रस में डूबी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकृष्ण भक्ति से परिपूर्ण अत्यंत सुन्दर सृजन ।कृष्ण जन्मोत्सव पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर रचना सर।
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्णा।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंकृष्ण जी पर लिखे मनभावन दोहे
जवाब देंहटाएंआप कमाल का सृजन करते है
शुभकामनाएं
शस्त्र सुदर्शन चक्र धर, बंसी धुन में लीन,
जवाब देंहटाएंकान्हा हैं हर हाल में, भक्तों के आधीन.
इस संसार की युद्धभूमि में शस्त्र धारण करते हुए भी जीवन में संगीत को साध लेने का संदेश देते हैं कृष्ण। इसीलिए वे इतने प्रिय हैं सबके। बहुत सुंदर दोहे। सादर।
बहुत सुंदर
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